कोच्चि July 02, 2009
वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान कृत्रिम रबर की तुलना में प्राकृतिक रबर की खपत में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
इस अवधि में प्राकृतिक और कृत्रिम रबर का खपत अनुपात 75:25 रहा, जो साल भर पहले यानी वर्ष 2007-08 में 74:26 रहा था। प्राकृतिक रबर के खपत अनुपात में हुई वृद्धि की वजह बीते बीते वित्त वर्ष की पहली छमाही में कृत्रिम रबर के मूल्य में हुई तेज बढ़ोतरी और दूसरी छमाही में टायरों की मांग में हुई कमी रही।
कच्चे तेल की कीमत में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के चलते 2008-09 की पहली छमाही में कृत्रिम रबर के विभिन्न प्रकारों की कीमत में जोरदार वृद्धि हुई। परिणाम यह हुआ कि 2008-09 में कृत्रिम रबर की खपत 1.4 फीसदी घट गई।
रबर बोर्ड का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान कृत्रिम रबर का कुल उपभोग घटकर 2,92,950 टन रह गया, जबकि साल भर पहले इसकी खपत 2,97,155 टन रही थी। दूसरी ओर बीते वित्त वर्ष में प्राकृतिक रबर की खपत 1.2 फीसदी बढ़कर 8,71,720 टन हो गई।
इसके साल भर पहले महज 8,61,455 टन रबर की खपत हुई थी। प्राकृतिक रबर की खेती के लिए यह बहुत अच्छी बात रही। आर्थिक मंदी के माहौल में भी इसकी खपत घटने के बावजूद बढ़ी। टायर उद्योग, जहां 90 फीसदी खपत कृत्रिम रबर की ही होती है, में कृत्रिम रबर का उपभोग 3.3 फीसदी गिरकर 1,85,094 टन रह गया।
साल भर पहले इसकी खपत 1,91,507 टन रही थी। रबर बोर्ड के अनुसार, ट्रक और बस टायरों के उत्पादन में हुई कमी ही कृत्रिम रबर की खपत में हुई कमी की वजह रही। (BS Hindi)
03 जुलाई 2009
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