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03 जुलाई 2009

कच्चे सोने को आयात शुल्क मुक्त किए जाने की मांग

मुंबई July 02, 2009
देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स का सहयोगी नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) ने सरकार से कच्चे सोने के आयात पर लगने वाले 2 फीसदी आयात शुल्क को समाप्त करने की मांग की है।
एनएसईएल का कहना है कि ऐसा करने से घरेलू रिफाइनरियों को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि एनएसईएल अब तक सोना के रिफाइनरी कारोबार से सीधे नहीं जुड़ी है। सोना रिफाइनिंग उद्योग के हवाले से सरकार को दिए ज्ञापन में एनएसईएल ने यह मांग रखी है।
देश में सर्राफा कारोबार के प्रमुख प्लेटफार्म इंडिया बुलियन मार्केट्स एसोसिएशन (आईबीएमए) का संचालन यही एनएसईएल करता है। देश में अब तक सोने का रिफाइनरी कारोबार बिखरा पड़ा है। इसलिए सरकार के समक्ष इसका सशक्त प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता।
जब से देश में भी लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन की तर्ज पर इंडिया बुलियन मार्केट्स एसोसिएशन की स्थापना हुई है, हालत में सुधार हो रहा है। यह दावा एनएसईएल के प्रबंध निदेशक अंजनि सिन्हा ने भी किया है। मुंबई स्थित एनआईबीआर बुलियन के वरिष्ठ अधिकारी और बंबई बुलियन एसोसिएशन के उपाध्यक्ष हरमेश अरोड़ा ने भी इस तथ्य की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, ''कच्ची सामग्री के अभाव में घरेलू रिफाइनरियां अभी अपनी क्षमता का महज 20-30 फीसदी ही इस्तेमाल कर रही हैं। अभी ये केवल सोने का स्क्रैप ही गला रही हैं।'' अरोड़ा ने बताया कि सीमा शुल्क के चलते अपरिष्कृत सोने का आयात अलाभकारी सौदा बन गया है। दूसरी ओर, परिष्कृत सोने के आयात पर थोड़ी ही लेवी लगती है।
अरोड़ा ने कहा कि ऐसे में सरकार को कच्चा सोने के आयात पर शुल्क में कमी करनी चाहिए। इतना ही नहीं देश में पुराने सोने की आपूर्ति भी अनिश्चित बनी हुई है। इसकी आपूर्ति कीमतों पर निर्भर करती है। गौरतलब है कि इस समय शुद्ध सोने के आयात पर महज 0.75 फीसदी का सीमा शुल्क देना पड़ता है।
सोने की मौजूदा कीमत के लिहाज से एक किलोग्राम सोना करीब 14.60 लाख में आता है और एक किलोग्राम सोना आयात करने पर महज 10,300 रुपये का शुल्क सरकार को देना होता है। एक अनुमान के मुताबिक, देश की सभी प्रमुख रिफाइनरियां रोजाना 100 किलोग्राम विशुद्ध सोना उत्पादित कर सकती हैं। लेकिन मौजूदा समय में अपरिष्कृत सोने का आयात लाभकारी नहीं रह गया है।
दूसरी ओर स्क्रैप सोना भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पाता, लिहाजा इन रिफाइनरियों की पूरी क्षमता का दोहन नहीं हो पा रहा है। अभी दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अंगोला और अमेरिका सोने का प्रमुख उत्पादक है। हालांकि इसकी ज्यादातर रिफाइनिंग ज्यूरिख में होती है। यहां से सोना एलबीएमको भेजा जाता है।
जब से एलबीएमए से मान्यता प्राप्त सोने की छड़ और सिक्के दुनिया भर में मशहूर हुए, तब से सारी कारोबारी गतिविधियां इसके द्वारा घोषित कीमतों के अनुसार होता है। भारतीय रिफाइनरियों के पास भी एलबीएमए के लिए स्टैंडर्ड सोना उत्पादित करने की क्षमता है। लेकिन यहां का सोना चूंकि ओर प्रोसेसिंग के जरिए रिफाइंड नहीं होता, इसलिए इसे वैश्विक स्तर पर मानक नहीं माना जाता है। (BS Hindi)

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