नई दिल्ली July 02, 2009
गरीब उपभोक्ताओं एवं उत्पादनकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए सरकार घरेलू कीमतों के लिए एक घोषित मूल्य सीमा तय करने पर विचार कर रही है।
सरकार का मानना है कि इस घोषित मूल्य सीमा के भीतर बिना किसी शुल्क व नियंत्रण के आयात व निर्यात मुक्त रूप से किये जाने की अनुमति दी जा सकती है।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 के दौरान खाद्य तेल, लोहा एवं इस्पात एवं खनिज तेल व रिफाइनरी उत्पाद की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गयी थी और इन वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने इनके आयात शुल्क को कम या समाप्त कर दिया था।
दूसरी तरफ अनाज व दाल की कीमतों पर अंकुश रखने के लिए सरकार ने उनके निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। वर्ष 2008-09 की आर्थिक समीक्षा में सरकार ने इन्हीं चीजों का खुलासा करते हुए एक घोषित मूल्य सीमा की बात कही है।
ऐसे में यदि अंतरराष्ट्रीय मूल्य इस सीमा से आगे चले भी जाये तो घरेलू कीमतें परिवर्ती आयात व निर्यात शुल्क लगाकर व्यवस्थागत रूप से कम हो जाएंगी। आयात व निर्यात शुल्क इस बात पर निर्भर करेगा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतें निचली सीमा से नीचे गयी है या ऊपरी सीमा से ऊपर गयी है।
घोषित मूल्य सीमा के साथ सरकार सार्वजनिक ने वितरण प्रणाली के तहत लक्षित सब्सिडियां देने की बात कही है। सरकार का मानना है कि इसके तहत वैसे किसान जिन्हें अपनी बुआई पध्दति की योजना बनाने के लिए निश्चित मूल्य व्यवस्था की जरूरत होती है के साथ निम्न आय के परिवारों के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा। (BS Hindi)
03 जुलाई 2009
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