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03 जुलाई 2009

जिंस बाजार में सुधार का पूरा एजेंडा

मुंबई July 02, 2009
आर्थिक समीक्षा 2008-09 में जिंस बाजार में सुधार के एक एजेंडे की सिफारिश की गई है।
समीक्षा में कहा गया है कि जिंस वायदा का नियमन प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अधीन लाया जाना चाहिए। साथ ही इसमें चावल, उड़द और तूर दाल जैसी जिंसों के वायदा कारोबार पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने को कहा गया है।
साथ ही क्षेत्रीय मंडियों में इलेक्ट्रॉनिक कारोबार की सुविधा दिए जाने की बात भी कही गई है। आर्थिक समीक्षा में कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स को खत्म किए जाने की भी सिफारिश की गई है। सर्वे में कहा गया है कि सभी वित्तीय बाजारों को सेबी के अधीन लाया जाना चाहिए। जबसे जिंस वायदा वित्त बाजार का हिस्सा बना है, सर्वे के मुताबिक यह सेबी से ही नियमित होता रहा है।
वर्तमान में जिंस वायदा का नियमन वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) करता है। सर्वे में यह सुझाव दिए जाने के बाद एफएमसी को ताकतवर बनाए जाने पर खामोशी बरती गई है। बहरहाल, कृषि जिंसों के वायदा कारोबार से प्रतिबंध हटाए जाने की सिफारिश की गई है, जिससे मूल्य खोज (प्राइस डिस्कवरी) और मूल्य जोखिम प्रबंधन (प्राइस रिस्क मैनेजमेंट) को बहाल किया जा सके।
जिंसों की प्रतिबंधित सूची में चावल, तूर और उड़द को अभी भी रखा गया है और चीनी के वायदा कारोबार को निलंबित सूची में डाल दिया गया है। चावल और दाल की दो किस्मों के वायदा कारोबार पर 2007 की शुरुआत में प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि इन्हें मुद्रास्फीति को बढ़ाने की मूल वजह माना गया।
इन जिंसों के साथ ही गेहूं के वायदा कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन इसके वायदा कारोबार को इस साल मई के मध्य से अनुमति मिल गई। जिंस वायदा बाजार नियामक, वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने सरकार से सिफारिश की थी कि सभी जिंसों से वायदा कारोबार पर प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए। एफएमसी का तर्क था कि कीमतें बढ़ने और उन जिंसों के वायदा कारोबार में कोई सीधा संबंध नहीं है।
भारत में 2003 के पहले कुल 23 क्षेत्रीय कमोडिटी फ्यूचर एक्सचेंज सक्रिय थे, जब सरकार ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज को स्वीकृति दे दी। उसके बाद वायदा कारोबार में अभूतपूर्व तेजी आई और इसका कुल कारोबार बढ़कर 2008 में 50 लाख रुपये का हो गया।
क्षेत्रीय एक्सचेंजों की हिस्सेदारी कुल वायदा कारोबार में मात्र 1 प्रतिशत है। वायदा कारोबार में इलेक्ट्रॉनिक कारोबार की सफलता को देखते हुए आर्थिक समीक्षा में कृषि बाजारों में हाजिर जिंस कारोबार में इसका प्रसार करने की इच्छा जताई है, जो एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केटिंग कमेटीज (एपीएमसी) या स्थानीय मंडियों के माध्यम से हो सकता है।
देश की दो प्रमुख वायदा एक्सचेंजों, एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स ने पहले ही इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट एक्सचेंज पेश कर दिया है, जैसा कि सर्वे में सिफारिश की गई है। लेकिन देश में 7500 से ज्यादा मंडियां हैं, जहां कारोबार भौतिक रूप में होता है- उन्हें इलेक्ट्रॉनिक फार्म में बदला जा सकता है। इन मंडियों का संचालन संबंधित राज्य सरकारें करती हैं।
बहरहाल, एनसीडीएक्स के स्पॉट एक्सचेंज के प्रमुख राजेश सिंह ने कहा, 'वर्तमान में मौजूदा देशव्यापी इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट एक्सचेंज मंडियों के काम में शामिल हो सकते हैं, जिससे स्थानीय मंडियों में इलेक्ट्रॉनिक कारोबार की संभावना बढ़ेगी। यह बहुत अच्छी बात है कि इलेक्ट्रॉनिक स्पॉट एक्सचेंज की भूमिका को पहचान मिली है, जिससे स्थानीय मंडियों में बदलाव किया जा सकता है।'
सर्वे में कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) को खत्म किए जाने की भी सिफारिश की गई है। वर्तमान में कर को लागू नहीं किया गया है, इसे अधिसूचित तो किया गया है, लेकिन एफएमसी ने सिफारिश की है कि इसे वित्त अधिनियम के तहत खत्म किया जाना चाहिए। एफएमसी ने कहा है कि इस तरह का कर दुनिया में कहीं नहीं लिया जाता है।
जिंस वायदा का नियमन सेबी के अधिकार क्षेत्र में लाया जाएचावल और दाल की दो किस्मों पर लगा वायदा कारोबार प्रतिबंध हटाया जाएक्षेत्रीय मंडियों में इलेक्ट्रॉनिक कारोबार की सुविधा होजिंस कारोबार कर (सीटीटी) को हटाया जाए (BS Hindi)

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