नई दिल्ली July 01, 2009
वाणिज्य मंत्रालय रत्न और आभूषण निर्यातकों को सोने के घरेलू बाजार में कारोबार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
ऐसा श्रम प्रधान लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका और यूरोप के बाजारों में मांग में आई गिरावट के चलते इस सेक्टर पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा है। विदेशी बाजारों में मांग घटने से पैदा हुए असर को दूर करने के लिए मंत्रालय निर्यातकों को सोना जैसे उत्पादों पर केंद्रित करवाने का लक्ष्य बना रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''हम निर्यातकों को सोने के बाजार पर केंद्रित करने की सलाह दे रहे हैं, जो अभी भी मजबूत स्थिति में है, खासकर घरेलू बाजार में।'' भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। फिलहाल, काटे और तराशे गए हीरे का निर्यात कारोबार में 60 फीसदी की हिस्सेदारी है, जबकि सोने का 30 फीसदी से ज्यादा योगदान है।
रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष वसंत मेहता के मुताबिक, ''सरकार को इसके लिए छोटे निर्यातकों को सोने के वितरण और स्थानीय बाजार से खरीदे जाने वाले सोने पर शुल्क की खामियों पर पुनर्विचार करना होगा।''
मेहता ने बताया कि बाजार विकास कोष को किया गया मौजूदा 100 करोड़ रुपये का आवंटन मामूली है। अकेले रत्न और आभूषण सेक्टर को अगले साल तक 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत है। संकेत तो यह भी है कि 6 जुलाई को पेश होने वाले बजट में कोष को कई गुना बढ़ाकर करीब 2,000 करोड़ रुपये कर दिया जाए।
बजट से पहले सरकार को दी गई विज्ञप्ति में जीजेईपीसी ने हीरा संवर्द्धन के क्षेत्र में दुनिया भर में शीर्ष स्थान बरकरार रखने के लिए कई मांगें रखी। संस्था ने इस उद्योग में डॉलर का प्रवाह बढ़ाने के लिए कई बिंदु भी सरकार को सुझाए हैं। घरेलू बाजार के अलावा, सरकार उन बाजारों के दोहन को भी प्रोत्साहित करने की योजना बना रही है, जो आर्थिक मंदी से बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई हैं।
अधिकारी ने बताया, ''पश्चिम एशिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्राजील जैसे देशों में कारोबार करने के लिए हम निर्यातकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।'' अधिकारी ने यह भी कहा कि ये देश तेजी से उबर रहे हैं। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में इस सेक्टर का निर्यात 18 अरब डॉलर का रहा। इसके साल भर पहले की अवधि की तुलना में यह करीब 6 फीसदी कम रहा।
देश को रत्न और आभूषण निर्यात से उसके कुल विदेशी मुद्रा का 13 फीसदी हासिल होता है। अधिकारी ने बताया कि रत्न और आभूषण उद्योग सहित लघु और मध्यम उद्योग पर सतर्क निगाहें रखी जा रही हैं। उसने यह भी बताया कि प्रभावित सेक्टर को उदार भाव से बाजार विकास कोष से धन का आवंटन किया जाएगा। (BS Hindi)
02 जुलाई 2009
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