नई दिल्ली: सरकार जुलाई महीने के लिए बाजार में 17 लाख टन चीनी जारी करने वाली है। तिमाही आधार पर चीनी जारी होने वाली व्यवस्था पहले ही खत्म हो गई थी। इसके बाद पहली बार सरकार नए इंतजाम के तहत चीनी जारी करने जा रही है। केंद्र का मकसद इसके जरिये बेलगाम हो रही चीनी की कीमतों को थामना है। खुदरा बाजार में चीनी का दाम 28 रुपए प्रति किलो से अधिक हो गया है। इसकी एक्स फैक्ट्री कीमत 24 रुपए प्रति किलो चल रही है। सरकार के पास अगले चार महीनों के लिए (नया चीनी सीजन शुरू होने तक) चीनी का पर्याप्त भंडार है। चीनी का 2009-10 का सीजन चार महीने बाद शुरू होगा। इस लिहाज से दाम पर काबू पाने की इस कोशिश को अहम माना जा रहा है।
खास बात है कि तिमाही आधार पर चीनी जारी करने की व्यवस्था लागू होने के समय भी सरकार सप्ताह में मिलों द्वारा जारी चीनी की मात्रा पर नजर रख रही थी। इसके जरिये वह सट्टेबाजी और जमाखोरी को रोकना चाहती थी। माना जा रहा है कि चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी की ये दो वजहें हैं। खाद्य मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने बताया, 'हाल में साप्ताहिक चीनी जारी करने के नियम के बावजूद चीनी मिलों से बाहर जा रही थी। यह चीनी जमाखोरों के पास जा रही थी। इस वजह से खुदरा बाजार में चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।' चीनी की कीमतों को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसके तहत कच्ची और सफेद चीनी के आयात में ढील दी जा चुकी है। निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, राज्यों को भंडारण सीमा तय करने का अधिकार दिया। शुगर फ्यूचर्स ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया और मिलों द्वारा साप्ताहिक आधार पर जारी होने वाली चीनी पर कड़ी नजर रखी जा रही है। सरकार ने हाल में पिछले साल के मुकाबले इस बार की गन्ने का एसएमपी 32 फीसदी बढ़ाकर 107.76 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। यह नौ फीसदी रिकवरी के साथ है। हालांकि हकीकत यह है कि देश में गन्ने की कमी के कारण चीनी मिलें किसानों को 140-180 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान कर रही हैं। 2008-09 चीनी वर्ष में चीनी का उत्पादन 147 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। चीनी वर्ष सितंबर तक चलता है, लेकिन अभी तक उत्पादन 141.62 लाख टन ही हुआ है। इसमें भी सबसे खराब बात है कि 2009-10 सीजन में चीनी उत्पादन और कम रहने का अनुमान लगाया है। यह उपभोक्ताओं के लिए और बुरी खबर है। (ET Hindi)
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