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02 जुलाई 2009

मानसून आने से भी कीमतों के गिरने के आसार कम

नई दिल्ली : दिल्ली में मानसून की दस्तक ने गर्मी से कुछ राहत जरूर दे दी है, लेकिन बढ़ती महंगाई से राहत अभी दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है। इतना ही नहीं, खरीफ सीजन की मुख्य फसलों के अच्छे उत्पादन पर भी सवालिया निशान लगा हुआ है। प्रमुख सब्जी कारोबारी वीरेंद राणा के मुताबिक, 'सब्जियों की कीमतों में नरमी आने की कोई उम्मीद नहीं है। भारी गर्मी की वजह से सब्जियों की करीब 50 फीसदी फसल खराब हो चुकी है। इसके अलावा अगर ज्यादा बारिश होती है तो भी सब्जियों के सड़ने का खतरा पैदा हो जाता है।' इस वक्त आलू की थोक कीमत सात से 13 रुपए के बीच चल रही है।
प्याज के एक कारोबारी के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में तो प्याज के भाव गिरने की उम्मीद कम ही है, क्योंकि अभी इसका पुराना स्टॉक ही बाजार में आ रहा है। नासिक और राजस्थान में पैदा होने वाली प्याज की फसल बाजार में अक्टूबर में ही आएगी। दिल्ली में रोजाना करीब 8,000 से 10,000 क्विंटल आलू और 12,000 से 14,000 क्विंटल प्याज की खपत होती है। कार्वी कॉमट्रेड के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट चौड़ा रेड्डी के मुताबिक, 'महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। कुल बारिश भी कम ही रही है। कीमतों के नीचे आने के आसार कम ही हैं।' पिछले साल 26 जून के मुकाबले इस साल 26 जून तक के बुआई क्षेत्रफल के आंकड़े भी यही बताते हैं। पिछले साल 26 जून को धान की रोपाई 25.2 लाख हेक्टेयर में हुई थी जबकि इस साल यह घटकर 18.28 लाख हेक्टेयर पर आ गई है। गन्ने के बुआई क्षेत्रफल में भी 1.58 लाख हेक्टेयर की कमी दिख रही है। हालांकि मूंग, उड़द और तूर जैसे दालों के बुआई क्षेत्र में मामूली बढ़ोतरी देखी गई है। हालांकि मानसून के आने से फलों की कीमतों के कुछ कम होने के आसार जरूर नजर आ रहे हैं। उत्तर-भारत में कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सेब के उत्पादन पर बारिश का अच्छा असर पड़ सकता है। आजादपुर एपीएमसी के सदस्य और फल कारोबारी मेठाराम कृपलानी के मुताबिक, 'अच्छी बारिश से संतरे और सेब का उत्पादन बेहतर होने के आसार दिख रहे हैं। इससे इन फलों की कीमतें नीचे आ सकती हैं।' दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता के मुताबिक, 'बिनौला, सोयाबीन और मूंगफली की बुआई शुरू हो चुकी है। हालांकि, सरकार खाद्य तेलों के शुल्क मुक्त आयात को इस बजट में खत्म कर इस पर 20 फीसदी की ड्यूटी लगा सकती है। अगर ऐसा किया जाता है तो इनकी कीमतें 5-10 फीसदी तक बढ़ सकती हैं।' दालों की कीमतों के हालांकि बढ़ने के आसार बने हुए हैं। दिल्ली दाल मिल्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक गुप्ता के मुताबिक, 'अभी भी बारिश सामान्य से कम है और 10 जुलाई तक प्रमुख दाल उत्पादक इलाकों में अगर अच्छी तरह से बारिश नहीं होती है तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी होनी तय है।' (ET Hindi)

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