मुंबई January 25, 2010
जिंस वायदा कारोबार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में विलय के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का ऐतराज बरकरार है।
फिलहाल एमएमसी उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधीन है और मंत्रालय नहीं चाहता कि वायदा बाजार की लगाम उसके हाथ से निकल जाए। वित्त मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा है कि वायदा बाजार का काम भी पूंजी बाजार नियायम सेबी को ही देखना चाहिए।
बहरहाल इस मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय कृषि एंव उपभोक्ता मामलों के मंत्री शरद पवार इस कदम का कड़ा विरोध कर रहे हैं जिससे यह प्रक्रिया फौरी तौर पर टाल दी गई है। दरअसल पवार अपनी 'पावर' में किसी तरह की कटौती नहीं चाहते।
पांच साल पहले जब इस आशय का प्रस्ताव पहली बार सामने आया था तब से पवार इसका विरोध कर रहे हैं। तब यह तय हुआ था कि तीन साल बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और एफएमसी के साथ बातचीत के बाद एक नोट भी तैयार कर किया है लेकिन मामला उससे आगे नहीं बढ़ पाया है।
कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर भी वित्त मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से बातचीत कर चुके हैं। वहीं नॉर्थ ब्लॉक अभी भी इस बात पर जोर दे रहा है कि पूंजी बाजार का नियमन करने वाली संस्था सेबी ही जिंसों के वायदा कारोबार के साथ-साथ जिंस एक्सचेंजों पर भी नजर रखे।
पिछले साल योजना आयोग ने भी इस मसले को उठाया था और एफएमसी से जवाब तलब भी किया था। बदले में इस मांग का कड़ा विरोध करते हुए एफएमसी ने 5 पृष्ठों का एक नोट भेजा था। एमएमसी ने तर्क दिया था कि पूंजी बाजार और जिंस बाजार की तासीर एकदम अलग है।
पूंजी बाजार के अंतर्गत आने वाले शेयर बाजारों में काफी ग्लैमर है ऐसे में एक ही संस्था के नियमन से जिंस बाजार पर ध्यान कम हो सकता है क्योंकि ज्यादा ध्यान दूसरे क्षेत्रों पर लगाना होगा। साथ ही आयोग ने यह भी कहा था कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है और वायदा बाजारों में कृषि उत्पादों का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है।
कम से कम दस साल के लिए तो इसे स्वतंत्र इकाई की जरूरत है। साथ ही उसने सोने जैसी कीमती धातुओं को लेकर भी अपना पक्ष रखा था। वैश्विक स्तर पर नियमन के अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं।
मिसाल के तौर पर सिंगापुर में शेयर, जिंस और मुद्रा कारोबार के लिए एक ही नियामक है। वहीं अमेरिका में शेयर बाजार को संभालने का जिम्मा प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग के पास है जबकि जिंस और शेयर वायदा कारोबार का नियमन वायदा कारोबार आयोग के अधिकार क्षेत्र में है।
टूटेगा वायदा!
एफएमसी के सेबी में विलय पर फिर सवालउपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को है ऐतराज़ जिंस बाज़ार पर पकड़ ढीली करने से परहेज़वित्त मंत्रालय चाहता है नियामकों का एकीकरण (बीएस हिन्दी)
25 जनवरी 2010
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