14 जनवरी 2010
खाद्य पदार्थो की कीमतों में 8-10 दिनों में कमी आएगी : पवार
महंगाई के मसले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने संवाददाताओं से चर्चा में कहा, "खाद्य पदार्थो की कीमतों में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए हमने जो कदम उठाए हैं, उससे लगता है कि आठ से 10 दिनों के भीतर खाद्य पदार्थो की कीमतों में कमी आना शुरू हो जाएगी।"उन्होंने कहा कि बैठक में मुख्यमंत्रियों का एक सम्मेलन बुलाने का फैसला किया गया, जिसमें महंगाई पर लगाम कसने के संबंध में राज्य सरकारों से विस्तार से चर्चा होगी। मुख्यमंत्रियों का यह सम्मेलन 27 जनवरी को होगा, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस बैठक में मुख्यमंत्रियों से आवश्यक वस्तु अधिनियम के क्रियान्वयन के संबंध में भी बातचीत करेंगे।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को जो चावल व गेहूं उपलब्ध कराए गए हैं, राज्य सरकारें उन्हें नहीं ले जा रही हैं।पवार ने कहा, "हमने राज्यों को बड़ी मात्रा में गेहूं व चावल उपलब्ध कराए हैं लेकिन वे उपयुक्त मात्रा में इसे नहीं ले रहे हैं। " उनके मुताबिक राज्य सरकारों को 20 लाख टन गेहूं आवंटित किया गया है लेकिन अभी तक 159,000 टन गेहूं ही वे ले जा सके हैं जबकि चावल 10 लाख टन आवंटित किया गया है जिसमें से महज 209,000 ही ले जाया गया है।उन्होंने कहा, "वस्तुस्थिति का आकलन करने के बाद प्रधानमंत्री ने सोचा कि मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक होनी चाहिए ताकि वे राज्यों से अपील कर सके कि वे उन्हें आवंटित खाद्यान्न को ले जाएं।"पवार ने कहा कि राज्य सरकारों से कहा गया है वे जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। "मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में इसकी भी समीक्षा की जाएगी।"उन्होंने कहा कि गन्ना और चीनी गैरकानूनी तरीके से भारत से नेपाल भेजे जा रही है, इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।बाजार में चीनी की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताते हुए पवार ने कहा कि सरकार इस दिशा में भी उचित कदम उठा रही है। उन्होंने कच्ची चीनी के आयात संबंधी नियमों में ढिलाई की घोषणा की। इस घोषणा के साथ ही सरकार ने कच्ची चीनी को देश में कहीं भी परिष्कृत करने की अनुमति दे दी। अब तक जो मिलें कच्ची चीनी का आयात करती थीं उन्हें अपनी ही मिल से उसे परिष्कृत करना पड़ता था।पवार ने कहा, "कच्ची चीनी को परिष्कृत किए जाने में तेजी लाने और बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क नियमों में ढील दिए जाने का फैसला किया है ताकि किसी भी राज्य में चीनी का प्रसंस्करण किया जा सके।"उन्होंने कहा, "आज जो मिलें कच्ची चीनी का आयात करती हैं उन्हें अपनी ही मिलों में इसका प्रसंस्करण करना पड़ता है। यदि वे मिलें किसी अन्य मिल में आयातित कच्ची चीनी का प्रस्ंस्करण कराती हैं तो उन्हें इसकी एवज में शुल्क देना पड़ता है। अब इस नियम को हटा दिया गया है।"पवार ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कई चीनी मिलों ने प्रसंस्करण के लिए कच्ची चीनी आयात की है। इसे देखते हुए यह फैसला किया गया है। उन्होंने कहा अभी भी कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर चीनी के भंडार पड़े हुए हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने कच्ची चीनी के प्रवाह पर प्रतिबंध लगा रखा है।उन्होंने कहा, "हम उत्तर प्रदेश सरकार से इन प्रतिबंधों को हटाने का लगातार आग्रह कर रहे हैं लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया।"पवार ने कहा, "बाजार में चीनी की उपलब्धता लगातार बनाए रखने के लिए 31 दिसम्बर 2010 तक बगैर किसी शुल्क के परिष्कृत चीनी के आयात की अनुमति दी गई है। इस पर कोई मात्रात्मक प्रतिबंध नहीं होगा।" (हिन्दी)
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