नई दिल्ली January 25, 2010
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुड़ खांडसारी उद्योग चीनी मिलों की मिठास हल्की करता नजर आ रहा है।
चीनी मिलों द्वारा गन्ने के भाव बढ़ाने के बावजूद इनको गन्ना मिलने में बिलकुल भी दिक्कत नहीं आ रही है। लेकिन चीनी मिलों को संघर्ष करना पड़ रहा है। चीनी मिलें जहां 260 रुपये प्रति क्विंटल का भाव दे रही हैं वहीं गुड़ व खांडसारी उत्पादक 270 रुपये प्रति क्विंटल नकद भाव किसानों को दे रहे हैं।
राज्य में इस साल गन्ने का रकबा कम होने की स्थिति में चीनी मिलों और गुड़ उत्पादकों के बीच गन्ना पाने की होड़ लगी है, जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है। चीनी की बढ़ी कीमतें मिलों को भी ज्यादा गन्ना लपकने को ललचा रही हैं।
उत्तर प्रदेश फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बताया कि मिलों द्वारा गन्ने की कीमत बढ़ाने का गुड़-खांडसारी उत्पादकों पर बहुत असर पड़ता नहीं दिख रहा है, क्योंकि वे भी किसानों को प्रति क्विंटल करीब 260-270 रुपये तक भुगतान कर रहे हैं।
राज्य में करीब 1,000 मान्यता प्राप्त खांडसारी उत्पादक हैं, जिनमें से करीब 330 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चल रहे हैं। इसके साथ ही करीब 2,000 से ज्यादा छोटे उत्पादक और कोल्हू वाले हैं। मुजफ्फरनगर के एक बड़े कारोबारी सुधीर गोयल ने बताया कि गुड़ उत्पादकों को मजबूरी में गन्ने की कीमत बढ़ानी पड़ी है।
उन्होंने बताया कि गुड़ इकाइयों में गन्ने की उपलब्धता बढ़ने से घरेलू बाजार गुड़ का स्टॉक बढ़ा है, जिससे गुड़ की कीमतों में गिरावट आई है। एक कारोबारी के मुताबिक मुजफ्फरनगर गुड़ मंडी में गुड़ खुरपा और चाकू के भाव 2,500 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
शुगर टेक्नोलॉजिज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सिंभावली शुगर के कार्यकरी निदेशक डॉ. जी एस सी राव ने बताया कि मिलें गन्ना किसानों को अधिक कीमत (250 से 260 रुपये प्रति क्विंटल) का भुगतान कर रही हैं।
लेकिन पेराई के बाद गन्ने से मिलने वाली चीनी में करीब 1 फीसदी कमी आई है। पिछले साल रिकवरी दर 9.5 से 10 फीसदी थी, जो इस बार 8.5 से 9 फीसदी रह गई है यानी मिल वालों के मार्जिन पर असर पड़ सकता है।
गुड़ बना गुरु
चीनी मिलों से ज्यादा भाव पर गन्ना खरीद रहीं गुड़ खांडसारी इकाईगन्ना किसान भी मिल पर उन्हें दे रहे तरजीहइस बार गन्ने में चीनी की रिकवरी कम, जिससे मिलों का घटेगा मार्जिन (बीएस हिन्दी)
25 जनवरी 2010
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