मुंबई January 19, 2010
भारत में अनाज का हाजिर कारोबार बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
जमीनी स्तर पर बाजार की अच्छी समझ नहीं होने की वजह से नए उभरते करोबारी सौदों के लिए आसान रास्ते तलाश रहे हैं। नए कारोबारी पुराने कारोबारियों की तरह कृषि वस्तुओं और उनकी कीमतों का फर्क समझने के लिए बाजार-बाजार घूमने की जहमत नहीं उठाना चाहते।
बड़ी-बड़ी डिग्री वाले तकनीक के दीवाने अगली पीढ़ी के ये कारोबारी कारोबार के तौर तरीके अपने मुताबिक बदलने में लगे हैं। ग्रेन राइस ऐंड ऑयलसीड मर्चेंट एसोसिएशन (जीआरओएमए) के अध्यक्ष शरद मारु का कहना है, 'चावल, गेहूं और दूसरी नकदी वस्तुएं मसलन चीनी, गुड़ और तेल बीजों की दो-तीन किस्में दिखने में काफी हद तक समान होती हैं, पर इनकी कीमतों मे फर्क होता है। मंडी में हर रोज घूमने वाले दैनिक कारोबारी ही सिर्फ ये अंतर समझ सकते हैं।'
ऐसे बदलते माहौल में ऑनलाइन एक्सचेंजों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, लेकिन यहां भी बाजार की सही-सही जानकारी देना एक्सचेंजों के लिए मुश्किल काम होता है। बाजार में कारोबार की प्रक्रिया, वितरण और कीमत अदायगी की व्यवस्था और सबसे जरूरी सामानों के बीच गुणवत्ता का फर्क समझाने में एक्सचेंजों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है।
एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनस्पॉट) के प्रमुख राजेश सिन्हा के मुताबिक अगली पीढ़ी के कारोबरियों के उभरने के साथ ऑनलाइन हाजिर एक्सचेंज भी फलेगा- फूलेगा। एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज (एनस्पॉट) नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा ऑनलाइन हाजिर एक्सचेंज है। यह वस्तुओं के हाजिर कारोबार की ऑनलाइन सुविधा देता है।
देश की बड़ी मंडियों में बोर्ड पर कीमतें दर्शाई जा रही हैं। अगले कुछ सालों में इस तरह के तमाम जिंस बाजारों को इस सुविधा से जोड़ने की योजना है। इससे किसानों को फायदा हो रहा है। उनकी आमदनी बढ़ी है।
फाइनैंशियल टेक्नोलॉजी प्रोमोटेड नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंजनी सिंहा का कहना है कि ऑनलाइन एक्सेचेंजों के आने से मध्यस्थों को बीच से निकालना संभव हो सका है। उपभोक्ताओं की तरफ से चुकाई गई कीमत का 50 फीसदी तक खा जाने वाले मध्यस्थों की भूमिका ऑनलाइन एक्सचेंजों के आ जाने के बाद अनावश्यक हो गई है।
कीमतों में बढ़त का ज्यादातर फायदा किसानों के पास जाता है। सबसे जरूरी बात, ऑनलाइन एक्सचेंजों ने माल आपूर्ति को एक बोरी तक कम कर दिया है। इससे बहुत ही छोटे किसान भी कारोबार में उतरने लगे हैं। इसके साथ ही ये एक्सचेंज खरीदारों को उपलब्ध कराए गए माल के लिए दूसरी पार्टी की तरफ से गारंटी की व्यवस्था करते हैं।
वहीं विक्रेताओं को समय पर एकाउंट से एकाउंट भुगतान की सुविधा देते हैं। अभी अनाज किसानों से थोक व्यापारियों तक मध्यस्थों के हाथों पहुंचता है। ये मध्यस्थ दोनों तरफ से 2.5 फीसदी का कमीशन लेते हैं। थोक व्यापारी भी अपना लाभ उठाते हुए खुदरा व्यापारियों को अनाज बेचते हैं।
खुदरा बिक्रेता भी कुछ मुनाफा लेते हुए अंतिम उपभोक्ताओं को माल बेचता है। इस प्रक्रिया में अनाज के दाम में माल ढुलाई का खर्चा भी जुड़ता जाता है। ऑनलाइन कारोबार में इन खर्चों को बचाया जा सकता है। किसान सीधे अपना माल उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं। अगर किसान अपने लिए छोटा मुनाफा भी रखें, तो भी यह काफी ज्यादा होगा।
2008 में शुरू हुए मौजूदा दो एक्सचेंजों में 2009 में 2809.29 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। इसमें से एनएसईएल की हिस्सेदारी 2558.56 करोड़ रुपये है। इस अवधि में एनएसईएल में 1,370 करोड़ रुपये के कृषि वस्तुओं का कारोबार हुआ।
अंजनी सिन्हा के मुताबिक, 'मात्रा के हिसाब से भले ही कारोबार का आकार छोटा है, पर जहां भी हमने काम किया, वहां किसानों की आमदनी बढ़ी है।' एक अध्ययन के अनुसार भारत में हर रोज औसत रूप से 115,000 करोड़ रुपये का हाजिर कारोबार होता है। 2009 में सरकारी क्षेत्र की कुछ कंपनियों ने भी आंध्रप्रदेश में कपास खरीदने के लिए ऑनलाइन एक्सचेंजों की मदद ली। (बीएस हिन्दी)
20 जनवरी 2010
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