23 जनवरी 2010
पवार ने कहा और दूध के दाम बढ़ गए
नई दिल्ली।। कृषि मंत्री शरद पवार महंगाई पर कुछ कहने के बाद बेशक यू टर्न ले लेते हैं, मगर उनके बोलने का असर तुरंत बाजार पर नजर आता है। कुछ दिन पहले पवार ने बोला था कि देश में दूध की कुछ कमी है और दाम बढ़ाने का जबर्दस्त दबाव है और शुक्रवार को मुंबई में डेरी वालों ने दूध के दाम में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का एलान कर दिया। इसका असर अब अन्य शहरों में भी हो सकता है। यह महज इत्तफाक है या कुछ और। इस पर राजनीति गरमा गई है। बीजेपी प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद के मुताबिक, सवाल यह उठता है कि क्या पवार आम आदमी के मंत्री हैं या बिचौलियों के। क्यों मुंबई में दूध के दाम तब बढ़े, जब पवार ने इसकी भूमिका तैयार कर दी थी। क्या यह केंद्र की जिम्मेदारी नहीं है कि वह इन मसलों को गंभीरता से ले। क्या माना जाए कि सरकार कीमतें बढ़ाने के लिए पवार के कंधे का इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि पवार कुशलता के साथ मौजूदा स्थिति को संभाल नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि महंगाई पर हमने करोड़ों लोगों की चिंता कृषि मंत्री के समक्ष प्रकट कर दी है। पवार क्योंकि खाद्य वितरण का कार्यभार भी देखते हैं, ऐसे में यह उनका दायित्व बनता है कि वे बाजार को नियंत्रण में रखने के उपाय करें। तिवारी से इतर कई सीनियर कांग्रेसी नेता इस बात से नाराज हैं कि पवार ने दूध बढ़ने की संभावना व्यक्त की और उसके बाद दूध के दाम बढ़ गए या बढ़ा दिए गए। इसका आम आदमी को गलत मेसेज गया। इसकी पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए पवार को भी संभलकर बयानबाजी करनी चाहिए। पुणे में पवार ने इस बात पर अचरज जताया कि महंगाई से उनके कृषि मंत्रालय का क्या लेना है। वह तो सिर्फ उपज पर ध्यान केंद्रित करती है। (ई टी हिन्दी)
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