नई दिल्ली January 13, 2010
दिल्ली के थोक बाजार में चीनी की कीमतों में मंगलवार को 250-300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। चीनी कारोबारी इस गिरावट के लिए उठाव में आई सुस्ती को जिम्मेदार मान रहे हैं।
सोमवार को चीनी के थोक भाव 42.50-43 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर थे, लेकिन मंगलवार को बाजार के खुलने के साथ ही ये भाव 40 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गए। कारोबारियों ने बताया कि चीनी की कीमतों को लेकर पहले ही काफी हाय तौबा मची हुई है।
ऐसे में सरकार उनके खिलाफ जमाखोरी के नाम पर कभी भी कार्रवाई कर सकती है। ऐसे में कोई भी कारोबारी अधिक मात्रा में चीनी रखकर सिरदर्द लेना नहीं चाहता। इस वजह से मंगलवार को चीनी के उठाव में 10-15 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
थोक कारोबारियों के मुताबिक मिलर्स की तरफ से चीनी की आपूर्ति में कोई तेजी नहीं आई है, लेकिन सरकारी सख्ती के भय से बाजार मंदा हो गया है। वे आगे भी चीनी के दाम में अब गिरावट की संभावना जाहिर कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की विभिन्न चीनी मिलों की आयातित 9 लाख टन कच्ची चीनी बंदरगाह पर पड़ी है।
दूसरी ओर संभावना है कि सरकार चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अधिक मात्रा में सफेद चीनी का आयात कर सकती है। चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू होने के बाद अब तक परिष्कृत एवं कच्ची चीनी मिला कर 40 लाख टन से अधिक चीनी का आयात किया जा चुका है।
व्यापारियों का कहना है कि सभी राज्यों में चीनी की स्टॉक सीमा को लागू कर दिया जाए तो चीनी के दाम में और गिरावट आएगी। स्टॉक सीमा लागू करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है और अलग-अलग राज्यों में चीनी के लिए अलग-अलग स्टॉक सीमा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमत 700 डॉलर प्रति टन से ऊपर चल रही है ऐसे में आयातित चीनी की कीमत भी थोक बाजार तक पहुंचते-पहुंचते 39-40 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर हो जाएगी। (बीस हिन्दी)
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