नई दिल्ली January 15, 2010
बिचौलियों के खर्च को खत्म करके आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में कम से कम 10 फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है।
लेकिन इस काम के लिए सरकारी एजेंसियों को आगे आना होगा और उन्हें खाद्य पदार्थों की बिक्री खुदरा स्तर पर भी करनी पड़ेगी। सरकारी एजेंसी एमएमटीसी, पीईसी व एसटीसी को हर राज्य की राजधानी में साप्ताहिक या रोजाना स्तर पर आवश्यक वस्तुओं को हाजिर बाजार के तहत बेचना चाहिए।
टेलीविजन चैनलों पर रोजाना स्तर पर प्रमुख खाद्य पदार्थों की कीमतों का प्रसारण एवं खुदरा कीमतों को थोक के मुकाबले अधिकतम 25 फीसदी तक रखने की नीति बनाने से खाद्य पदार्थों के मूल्य सूचकांक में कमी आएगी। बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करने के उद्देश्य से आरंभ किए गए नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) ने सरकार से तत्काल इन सुझावों पर गौर फरमाने की मांग की है।
एनएसईएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंजनि सिन्हा के मुताबिक कृषि जिंसों की कीमतों में 50-60 की लागत बिचौलियों की होती है। यानी कि 100 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाले खाद्य पदार्थ से किसानों को मात्र 35-40 रुपये की प्राप्ति होती है।
अगर किसानों से हाजिर कारोबार के तहत सीधे खरीदारी की जाए तो 20 फीसदी की महंगाई बिना किसी परेशानी के 10 फीसदी पर आ जाएगी। अब सरकार भी मानने लगी है कि मूल्य नियंत्रण के लिए बिचौलियों की भूमिका पर रोक लगानी पड़ेगी। सरकार की कोशिशों का फायदा अंतिम खरीदार तक नहीं पहुंच पाता है। (बीएस हिन्दी)
15 जनवरी 2010
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