चालू रबी सीजन के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के किसानों को डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की किल्लत के बाद अब यूरिया की भी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। इसका सीधा असर रबी के उत्पादन पर पड़ने की आशंका बन गई है। उत्तर भारत के कई राज्यों में किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है। वैसे तो उद्योग जगत और उर्वरक मंत्रालय का कहना है कि यूरिया की उपलब्धता में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन खराब मौसम के चलते रैक समय पर नहीं पहुंच रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में हुई बारिश को देखते हुए यूरिया की मांग में एकदम तेजी आ गई है। इस कारण से भी यूरिया की किल्लत हो रही है।
उर्वरक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के प्रेसीडेंट सतीश चंद्र ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पिछले कुछ दिनों से उत्तर भारत में मौसम काफी खराब है। इस कारण रैक मूवमेंट में दिक्कत हो रही है। लिहाजा, कई जगहों पर यूरिया की किल्लत हो सकती है। हालांकि, देश में यूरिया की कोई कमी नहीं है। टाटा केमिकल्स लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट कपिल मेहन ने बिजनेस भास्कर को बताया कि दिसंबर 2009 तक देश में यूरिया उत्पादन पिछले साल की तुलना में लगभग चार लाख टन ज्यादा रहा है। ऐसे में यूरिया की उपलब्धता की कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि, उत्तर भारत के राज्यों में बारिश के चलते अचानक मांग में काफी तेजी आ गई है। इसके अलावा खराब मौसम के चलते ट्रेन मूवमेंट में दिक्कत हो रही है जिसकी वजह से कुछ इलाकों में यूरिया की किल्लत है। मौसम सुधरने के साथ ही यह जल्द दूर हो जाएगी। उधर, उर्वरक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ट्रेनें काफी लेट हैं। ऐसे में यूरिया की आपूर्ति सामान्य होना मौसम पर निर्भर करता है। अगर मौसम एक-दो सप्ताह तक और खराब रहा तो रबी उत्पादन पर असर पड़ सकता है। गेहूं, सरसों आदि की फसलों को समय पर यूरिया न मिलने से उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
पंजाब व हरियाणा के कई कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि गेहूं की बुवाई के 45 दिन के भीतर यूरिया डालना उपज के लिहाज से अच्छा रहता है, पर यूरिया की किल्लत के चलते गेहूं के इन दोनों सबसे बड़े उत्पादक राज्यांे में इस साल उत्पादन प्रभावित हो सकता है। यूरिया की किल्लत से परशान होकर हरियाणा के कई इलाकों मंे रोष प्रदर्शन करने वाले किसानांे का कहना है कि सहकारी समितियांे से यूरिया नहीं मिलने के कारण फसल बचाने के लिए उन्हंे 242 रुपये (सरकारी रट) का बैग दुकानदारांे से ब्लैक मे 290 रुपये मंे खरीदना पड़ रहा है। भारतीय किसान सभा हरियाणा के महासचिव दयानंद पुनिया का कहना है कि दुकानदार उन्हंे ब्लैक में यूरिया के साथ जबरन कीटनाशक भी थोप रहे हैं जिनकी किसानों को जरूरत नहीं है। पंजाब के कई इलाकांे का दौरा कर यूरिया किल्लत का जायजा लेने वाले भारतीय किसान यूनियन उगरांहा के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंद्र सिंह उगरांहा ने बताया कि बठिंडा, गुरदासपुर, संगरूर व रोपड़ मे किसानांे को यूरिया की किल्लत से परशानी है।
हरियाणा कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक यशपाल सांगवान के मुताबिक चालू रबी सीजन (31 मार्च 2010 तक) के लिए हरियाणा का यूरिया कोटा 11.15 लाख टन का है। इसमें से जनवरी तक 9.60 लाख टन जारी होना है, जबकि 7 जनवरी तक हरियाणा को 7.50 लाख टन जारी हुआ है। इधर पंजाब को रबी के 13 लाख टन कोटे में से जनवरी के पहले हफ्ते तक 8.93 लाख टन जारी हुआ है। पंजाब कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक एचएस भट्टी के मुताबिक पिछले दिनों हुई बारिश के बाद किसानों मे तेजी से यूरिया की मांग बढ़ने से कुछ जगहों पर समस्या आई है। मध्य प्रदेश में भी फिलहाल किसानों को यूरिया की कमी का सामना करना पड़ रहा है जिसका सीधा नुकसान उत्पादन में कमी के रूप में होगा। फ्रेश ओ वेज के निदेशक रुद्र प्रताप सिंह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि अक्टूबर और नवंबर में हुई अच्छी बारिश से आलू व गेहूं की बुवाई में अचानक बढ़ोतरी हो गई थी जिसके चलते यूरिया की मांग उम्मीद से ज्यादा बढ़ गई है।
पिछले साल प्रदेश में तकरीबन 7.5 लाख टन यूरिया की खपत हुई थी। अभी तक प्रदेश में करीब आठ लाख टन यूरिया की खपत हो चुकी है। मांग को देखते हुए अनुमान है कि इस सीजन में प्रदेश की कुल खपत 9 लाख टन हो जाएगी। मध्य प्रदेश में 26 दिसंबर तक 12.40 लाख मीट्रिक टन खाद का वितरण हो चुका था, जबकि केंद्रीय कोटे से 15.02 लाख मीट्रिक टन खाद प्रदेश में उपलब्ध थी। प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि केंद्र से जिस अनुपात में हम मांगते हैं हमें खाद नहीं मिल पा रही है। जब राज्य सरकार सीधे विदेश से आयात करने के बार में सोचती है तो भी उसकी अनुमति आदि में कई परशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया कहते हैं कि प्रदेश में खाद की आवश्यकता इस वर्ष अनुमान से अधिक है। खाद के अभाव में फसलें प्रभावित होंगी। (बिसनेस भास्कर)
11 जनवरी 2010
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