27 जनवरी 2010
इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगा बासमती निर्यात
नई दिल्ली।। सऊदी अरब सरकार के सब्सिडी वापस लेने, ईरान को किए जा रहे निर्यात को झटका लगने और दुबई वित्तीय संकट के बावजूद भारत का बासमती निर्यात इस साल 30 लाख टर्न के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है। कमोडिटी उद्योग के सूत्रों के मुतबिक, दिसंबर 2009 के अंत में बासमती निर्यात 23 लाख टन था और इस कारोबारी साल के अंत तक यह आसानी से 30 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है। हालांकि, बेहतर गुणवत्ता वाले बासमती की कीमत निर्यात बाजारों में पिछले साल की तुलना में गिर सकती है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन (एआईआरईए) के प्रेसिडेंट विजय अरोड़ा ने कहा, '31 मार्च तक निर्यात 25 लाख टन के पार पहुंच जाएगा।' उन्होंने कहा कि इस साल उत्पादन 15 लाख टन से बढ़कर 45 लाख टन पर पहुंच जाएगा। हालांकि, सूखे ने गैर-बासमती चावल की फसल पर चोट की है। 2008-09 में करीब 23।1 लाख टन बासमती का निर्यात किया गया था, लेकिन इस निर्यात का बड़ा हिस्सा अच्छी गुणवत्ता वाले गैर बासमती चावल का था जिसका आमतौर पर देश में ही उपभोग किया जाता है। निर्यात 2007-08 में दर्ज किए गए 15.1 लाख टन से कहीं ज्यादा रहा। केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में आपूर्ति मजबूत करने और कीमतों में कमी लाने के लिए चावल आयात करना है या नहीं, इससे जुड़ा फैसला इस साल मार्च तक के लिए टाल दिया था। खाद्यान्न के उपलब्ध भंडार की समीक्षा और फरवरी-मार्च में फसल का दूसरा आरंभिक अनुमान आने तक यह फैसला रोका गया है। हालांकि, भारत की आयात की जरूरतों की खबरों ने वैश्विक बाजार में दाम जरूर बढ़ा दिए थे। दूसरा अनुमान इस बात के पहले संकेत देता है कि साल की खरीफ फसल कैसी रहेगी। ऊंची कीमत वाले चावल के आयात में देरी का फैसला न केवल केंद्र के पास अब उपलब्ध गेंहू के जरूरत से ज्यादा भंडार की वजह से सही साबित हुआ, बल्कि थाई होम माली चावल की कीमतों में दिसंबर के बाद आई और तेजी ने भी इसे दुरुस्त ठहराया। ग्रेड ए चावल (2009-10 फसल) की कीमत 2 से 6 दिसंबर के बीच 1006 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1021 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई, जबकि पिछले साल की इसी गुणवत्ता वाली फसल इस अवधि में 1116 डॉलर प्रति टन रही। हालांकि, 23 दिसंबर 2009 को यह 3 डॉलर लुढ़ककर 1113 डॉलर प्रति टन पर आ गई थी। थाइलैंड ने उस साल से भारी डिस्काउंट पर चावल का अतिरिक्त भंडार ऑफलोड करना शुरू किया, ताकि नई फसल के लिए राह तैयार की जा सके। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक का एक उद्देश्य केंद्र के गेंहू के भंडार को उनको देकर कम करना भी था। यह मार्च में नया मार्केटिंग सीजन शुरू होने से पहले एफसीआई के गोदामों से ओवरलोड कम करने की कोशिश थी। केंद्र सरकार पर अगले दो महीने में करीब 30 लाख टन गेहूं ऑफलोड करने को लेकर गंभीर दबाव है। 9 जनवरी को खत्म सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति दर 16.8 फीसदी रही है। (ई टी हिन्दी)
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