लखनऊ January 16, 2010
राज्य में चीनी मिलों के खिलाफ दर्ज हो रहे मुकदमों की ताजा कड़ी में शुक्रवार को निजी चीनी मिलों के खिलाफ 11 नए मामले दर्ज कराए गए।
मामले दर्ज कराने से पहले राज्य एक्साइज और गन्ना विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किसानों से गन्ना खरीद में कथित धांधली के आरोपों के चलते छापे भी मारे गए। सूत्रों के मुताबिक, दर्ज किए गए मामलों में त्रिवेणी, उत्तम, बजाज हिंदुस्तान और मवाना पर धारा 3 7 और धोखाधड़ी एवं साजिश की अन्य धाराओं के तहत सरकारी गाज गिरी।
इन्हें मिलाकर गुरुवार से लेकर आज तक कुल 50 मामले राज्य में दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें ताजातरीन मामलों में आरोपी चीनी मिलों के अलावा बिड़ला, डीसीएम, सिंभावली और तिकोला समूह पर कार्यवाही हो चुकी है।
अनुमान है कि राज्य सरकार का यह अभियान अगले तीन-चार दिन और चलेगा। पिछले पेराई सत्र में भी कुल 71 एफआईआर दर्ज की गई थीं। इससे पहले चीनी मिलों पर वित्तीय धांधली का आरोप लगने पर मिल वालों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। मिल मालिकों ने कहा था कि राज्य प्रशासन उनका शोषण कर रहा है।
उद्योग के एक सूत्र ने नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था, 'राज्य की सरकारी मशीनरी के हाथों यह सीधे-सीधे शोषण का मामला है।' इस सिलसिले में अब तक 4,300 छापे मारे जा चुके हैं और उनमें 591 जगह गड़बड़ी मिली हैं।
सरकार ने गन्ना तोलने वाले 116 लिपिकों को बर्खास्त कर दिया है और उनके लाइसेंस भी निलंबित कर दिए हैं। मिलों पर उन किसानों को नकदी बांटने का आरोप भी है, जो दूसरी मिलों के आरक्षित इलाके में आते हैं।
इस बार गन्ने की उपज कम रही है, इसलिए चीनी मिलों और गुड़ तथा खांडसारी इकाइयों के बीच गन्ना हासिल करने की होड़ मच गई है। चीनी उद्योग इन एफआईआर के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाने की फिराक में है। सूत्रों ने कहा था, 'हम अगले हफ्ते बैठक करेंगे और अगला कदम तय करेंगे। साथ रहकर ही हम सुरक्षित रह सकते हैं।' (बीएस हिन्दी)
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