चंडीगढ़ January 26, 2010
हरियाणा में गन्ने की फसल से बेहतर संकेत मिल रहे हैं। 2009 में शरद ऋतु की बुआई में जोरदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जाड़े के मौसम में गन्ने की खेती का क्षेत्रफल बढ़कर 0.18 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 0.05 लाख हेक्टेयर था। गन्ने की बुआई सामान्यतया दो ऋतुओं- शरद और वसंत ऋतु में होती है।
हरियाणा के कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक शरद ऋतु के मौसम में गन्ने की बुआई बढ़कर 0.18 लाख हेक्टेयर हो गई है। पिछले साल इस मौसम में बुआई का क्षेत्रफल 0.5 लाख हेक्टेयर थी। बुआई में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह गन्ने की कीमतों में उछाल है। अधिकारियों का कहना है कि 2011-12 में बुआई का क्षेत्रफल 1 लाख हेक्टेयर के आंकड़े को पार कर जाएगा।
हरियाणा में 2007-08 में गन्ने की बुआई का क्षेत्रफल 1.4 लाख हेक्टेयर था, जो 2008-09 में गिरकर 0.09 लाख हेक्टेयर रह गया। 2009-10 में बुआई गिरकर 0.75 लाख हेक्टेयर रहने की संभावना है। गन्ने की बुआई में कमी की एक वजह मजदूरों की कमी है। जहां गेहूं और धान में मशीनीकरण बढ़ गया है, गन्ने की खेती पूरी तरह श्रमिकों पर निर्भर है।
इसके साथ ही धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य ज्यादा होने की वजह से भी किसानों ने गन्ने की जगह धान की बुआई में रुचि दिखाई। बहरहाल गन्ने की बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी से कृषि विभाग को उम्मीद जगी है, जिसने राज्य में गन्ने की खेती में बढ़ोतरी करने का लक्ष्य रखा था।
अधिकारियों का कहना है कि गन्ने की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 4 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत हरियाणा में अक्टूबर से दिसंबर 2009 के बीच गन्ने की खेती करने वाले किसानों को 2000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा हरियाणा के गन्ना उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए निजी चीनी मिलों ने भी प्रतिस्पर्धी दर से गन्ना खरीदने की नीति बनाई है, जिससे गन्ने में किसानों की रुचि बढ़ी है। सरकार के साथ राज्य में निजी चीनी मिलें भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं चला रही हैं।
यमुनानगर जिले की सरस्वती शुगर मिल ने इस इलाके में किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अलग बजट बनाया है। कंपनी ने 6 करोड़ रुपये के बजट से किसानों के लिए योजनाएं बनाई है।
किसानों को गन्ने के बेहतर बीज उपलब्ध कराने, कर्ज मुहैया कराने सहित तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चीनी की बढ़ती कीमतों की प्रमुख वजह गन्ने का कम उत्पादन है।
बढ़ी हुई कीमतों से गन्ना किसान उत्साहित
जाड़े के मौसम में गन्ने की बुआई का क्षेत्रफल बढ़कर 0।18 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 0.05 लाख हेक्टेयर थाराज्य सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं और मिलों द्वारा किसानों को सहायता दिए जाने का व्यापक असरगन्ने का उचित दाम न मिलने, मजदूरों के संकट से आई थी बुआई में कमी (बीएस हिन्दी)
28 जनवरी 2010
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