लखनऊ January 15, 2010
उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने यहां की चीनी मिलों पर वित्तीय धांधली का आरोप क्या लगाया, मिल वालों ने उसके खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया।
मिल मालिकों ने आज कहा कि राज्य प्रशासन उनका शोषण कर रहा है। उद्योग के एक सूत्र ने नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'राज्य की सरकारी मशीनरी के हाथों यह सीधे सीधे शोषण का मामला है।'
इस बीच प्रदेश के कई जिलों में चीनी उत्पादन करने वाली दिग्गज कंपनियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट यानी एफआईआर दर्ज करा दी गई हैं। इन कंपनियों में बजाज हिंदुस्तान, बलरामपुर, बिड़ला, त्रिवेणी, मवाना, धामपुर और कनोरिया समूह शामिल हैं।
चीनी के भाव ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं और चीनी मिलें किसानों को गन्ने की अधिक कीमत देने के बावजूद जमकर मुनाफा कमा रही हैं। लेकिन उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर रंग में भंग डाल सकती हैं।
इन एफआईआर में आम तौर पर गन्ने की तोल में गड़बड़ी का आरोप है। इस सिलसिले में अब तक 4,300 छापे मारे जा चुके हैं और उनमें 591 जगह गड़बड़ी मिली हैं। सरकार ने गन्ना तोलने वाले 116 लिपिकों को बर्खास्त कर दिया है और उनके लाइसेंस भी निलंबित कर दिए हैं।
मिलों पर उन किसानों को नकदी बांटने का आरोप भी है, जो दूसरी मिलों के आरक्षित इलाके में आते हैं। बदले में उन किसानों से भी मिलों ने अपने इस्तेमाल के लिए गन्ना मंगा। चीनी उद्योग भी अब इन एफआईआर के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाने की फिराक में है।
सूत्रों ने कहा, 'हम अगले हफ्ते एक साथ बैठक करेंगे और अगला कदम तय करेंगे। साथ रहकर ही हम सुरक्षित रह सकते हैं।' इस बीच मुख्यमंत्री मायावती ने आज फिर दोहराया कि गन्ना किसानों का हित देखते हुए पेराई सत्र पूरा होने से पहले प्रदेश में कच्ची चीनी के प्रसंस्करण की इजाजत किसी कीमत पर नहीं दी जाएगी।
मुंह कड़वा
गन्ना तोल में धांधली व नकदी बांटने के आरोपबड़ी-बड़ी चीनी मिलें भी आ गईं लपेटे मेंअगले हफ्ते मिलवाले तय करेंगे अगला कदममायावती ने कच्ची चीनी पर फिर बोला धावा (बीएस हिन्दी)
15 जनवरी 2010
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