23 जनवरी 2010
गन्ने में कम रस से मिल-मालिकों के मुनाफे में लगी सेंध
लखनऊ : मिल मालिक पहले से गन्नों की कम आपूर्ति से परेशान थे और अब उन्हें गन्ने से कम रिकवरी (कम रस मिलना, जिससे चीनी उत्पादन पर असर होता है) से जूझना पड़ रहा है। पिछले साल की तुलना में गन्ने से चीनी की रिकवरी 1 फीसदी घटी है, जिसका मतलब है कि चीनी का कम उत्पादन होगा और उत्पादन का खर्च बढ़ेगा। इससे मिलों के मुनाफे पर सीधी चोट पहुंचेगी। उत्तर प्रदेश की मिलों को गन्ने से रिकवरी 8।5-9 फीसदी हो रही है। शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसटीएआई) के प्रेसिडेंट और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. जी एस सी राव ने कहा कि रिकवरी रेट 8.5-8.75 फीसदी के बीच है। पिछले सीजन में यह 9.5-10 फीसदी रही थी। हालांकि, गन्ने की पूरी फसल की पेराई अभी की जानी है और इससे इन आंकड़ों में कुछ बदलाव आ भी सकता है, खास तौर से अगर सर्दी खिंचती है। लेकिन, यह तय दिख रहा है कि मौजूदा सीजन में चीनी की रिकवरी कम ही रहेगी। पिछले सीजन की तुलना में यह 1 फीसदी तक गिर सकती है। इस वजह से उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को इस सत्र में कम मुनाफे पर काम करना होगा। कम रिकवरी का सीधा मतलब लागत खर्च बढ़ना है। हालांकि, चीनी की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच चुकी हैं, जिससे चीनी उद्योग के चेहरे पर मुस्कुराहट दिख रही है। मिलें गन्ने के लिए रिकॉर्ड ऊंचे दाम दे रही हैं, जो 250 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा है। इससे चीनी मिलों के प्रॉफिट मार्जिन पर असर होगा। अंडर रिकवरी से कुल बिक्री में भी कमी आ सकती है। गन्ने के रस से कम चीनी बनेगी, जिससे मिलों का उत्पादन कम होगा। उत्तर प्रदेश में गन्ने की कमी से बीते कुछ वर्षों से उत्पादन लगातार कम हो रहा है। 2007 में राज्य में 84.75 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। मौजूदा सीजन में कुल उत्पादन 34-36 लाख टन तक गिर सकता है। हालांकि, अगर मिल मालिक गन्ने की शेष फसल का इस्तेमाल करते हैं और रिकवरी सुधरती है, तो उत्पादन का अनुमान बढ़ भी सकता है। (ई /टी हिन्दी)
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