लखनऊ January 28, 2010
आलू किसानों की बहाली और आने वाले समय में संकट और गहराने की चर्चा के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने माना है कि इस साल भी आलू का बंपर उत्पादन होगा और भंडारण की समस्या बनी रहेगी। लगातार बंपर पैदावार के चलते आलू किसान उत्तर प्रदेश में बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। इस साल जैसी फसल की आवक है, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि लगातार चौथे साल भी किसान सही दाम को तरसेंगे। सूबे के कृषि मंत्री का कहना है कि इस समय आलू के भंडारण क्षमता और उत्पादन के बीच करीब 40 लाख टन का अंतर है। हालांकि उनका मानना है कि सूबे की माया सरकार की ओर से दी जा रही भाड़े पर सब्सिडी के चलते आलू उत्पादकों को बाहर अपनी उपज का ठीक दाम मिल रहा है। विधानसभा में आलू को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब से खफा विपक्ष ने हंगामा काट दिया और बहिष्कार कर दिया। बहिष्कार कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी सहित राष्ट्रीय लोकदल ने भी किया। गुरुवार को उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में कृषि मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने माना कि सूबे में आलू की सभी शीत गृहों में भंडारण की कुल क्षमता 89 लाख टन है जबकि आलू का कुल उत्पादन 120 लाख टन से ज्यादा का है। आलू किसानों को उपज का लाभकारी दाम दिलाए जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मंत्री का कहना है कि सरकार को इसकी कोई जरूरत नहीं है क्योकि किसानों को बाजार में थोक में उपज का अच्छा दाम मिल रहा है। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने इस पर विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि किसानों को कहीं भी अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है और बिजली की जबरदस्त किल्लत के चलते किसानों का आलू शीतगृहों में ही सड़ जा रहा है। उन्होंने अपने दल के विधायकों के साथ सदन का बहिष्कार कर दिया। उनका साथ दिया भाजपा के विधानमंडल दल के नेता ओम प्रकाश सिंह,और समाजवादी पार्टी के वकार अहमद शाह ने। सूबे में बीते चार सालों से आलू की बंपर पैदावार होने के चलते किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। बीते सीजन में जब आलू की कीमतें गिरीं तो सरकार ने आलू बाहर भेजने वाले किसानों को भाड़े में सब्सिडी देकर किसानों को राहत देने का फैसला किया। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने इस कदम को इतनी देर से उठाया कि किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ जबकि जमाखोरों ने ही इसका फायदा उठाया। (बीएस हिन्दी)
29 जनवरी 2010
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