08 जनवरी 2010
सौदे पंजीकृत करने के बाद कॉटन निर्यात में निर्यातक पिछड़े
चालू सीजन के अक्टूबर से दिसंबर के दौरान भारत से कॉटन निर्यात के रजिस्ट्रेशन के मुकाबले वास्तविक निर्यात सिर्फ एक तिहाई रहा। टैक्सटाइल कमिश्नर के सूत्रों के अनुसार अक्टूबर से दिसंबर के दौरान 46।46 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन निर्यात के लिए सौदे पंजीकृत कराए, जबकि इस दौरान वास्तविक शिपमेंट मात्र 15.05 लाख गांठ का रहा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतें तेज होने के कारण एशियाई देशों खासकर के चीन और बंगलादेश की मांग ज्यादा निकल रही है। जिससे चालू सीजन में भारत से कॉटन का निर्यात पिछले साल के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा होने की संभावना है।कॉटन निर्यातकों का कहना है कि समय पर समुद्री जहाज न मिल पाने के कारण बीती तिमाही में निर्यात सौदों के मुकाबले कम रहा। उनका यह भी कहना है कि दिसंबर में समाप्त तिमाही में निर्यात आंकड़े वास्तव में मध्य दिसंबर तक के ही हैं। दूसरी ओर कुछ सूत्रों ने यह भी बताया कि नवंबर में निर्यातकों ने कॉटन निर्यात पर पाबंदी लगने की संभावना को देखते हुए बढ़ा-चढ़ाकर सौदे पंजीकृत कराए थे।उधर नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चीन और बांग्लादेश की भारी आयात मांग के कारण मौजूदा सीजन के पहले तीन महीनों में ही कॉटन निर्यात के लिए सौदे पिछले साल के कुल निर्यात भी ज्यादा पंजीकृत हुए। पिछले पूरे सीजन में भारत से कुल 31 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ था जबकि चालू सीजन के पहले तीन महीनों में ही निर्यात के लिए 46.46 लाख गांठ के निर्यात सौदों का रजिस्टेशन कराया गया। इसमें से निर्यात मात्र 15.05 लाख गांठ का ही हुआ है। पिछले सीजन में इन तीन महीनों में मात्र 6.36 लाख गांठ के निर्यात सौदो का रजिस्ट्रेशन हुआ था जबकि वास्तविक निर्यात 5.49 लाख गांठ रहा था। निर्यातकों की वर्तमान मांग को देखते हुए चालू सीजन में भारत से निर्यात बढ़कर 70 लाख गांठ से भी ज्यादा होने की संभावना है।राकेश राठी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की ऊंची कीमतों के कारण भारत से निर्यात मांग में बढ़ोतरी हुई है। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के मार्च वायदा अनुबंध के भाव 75.60 सेंट प्रति पाउंड चल रहे हैं जबकि पिछले साल इस समय भाव 58.10 सेंट प्रति पाउंड थे। अत: पिछले साल के मुकाबले कॉटन की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 17.50 फीसदी की तेजी आ चुकी है। पिछले एक महीने में ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतें 2.18 फीसदी बढ़ी है। चार दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम 72.82 सेंट प्रति पाउंड थे।कॉटन व्यापारी संजीव गुप्ता ने बताया कि निर्यातकों की मांग बढ़ने से घरेलू मंडियों में कॉटन की कीमतों में तेजी आई है। शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव बढ़कर गुजरात की मंडियों में 27100 से 27400 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) हो गये जबकि 25 दिसंबर को इसके भाव 26,600 से 26,900 रुपये प्रति कैंडी थे। उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में उत्पादक मंडियों में कॉटन की दैनिक आवक घटी है। घरेलू बाजार में दाम घटते ही किसानों की आवक घट जाती है इसलिए इस बार कॉटन का सीजन पिछले साल के मुकाबले लंबा चलने की संभावना है। उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की उत्पादक मंडियों में कॉटन की दैनिक आवक घटकर मात्र आठ हजार गांठ की रह गई है जबकि पिछले साल इस समय करीब 15 लाख गांठ की दैनिक आवक हो रही थी। गुजरात की मंडियों में दैनिक आवक 70 हजार गांठ और महाराष्ट्र की मंडियों में करीब 40 हजार गांठ की हो रही है। (बिसनेस भास्कर)
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