08 जनवरी 2010
काजू निर्यात गिरने से घरेलू सुलभता बढ़ी, दाम गिरे
निर्यात कम होने के कारण काजू के दाम पिछले साल के मुकाबले सात फीसदी तक घट चुके हैं। आर्थिक संकट की वजह से काजू के निर्यात में गिरावट आई है। कारोबारियों के मुताबिक आगे इसके मूल्यों में और कमी आ सकती है। खारी बावली सर्व व्यापार महासंघ के सचिव ऋषि मंगला ने बिजनेस भास्कर को बताया कि घरेलू बाजार में उपलब्धता अधिक होने के कारण काजू पिछले साल से सस्ता बिक रहा है। खारी बावली मंडी में साल भर में काजू (300 नंबर) के दाम 390 रुपये से घटकर 360 रुपये, 240 नंबर के दाम 480 रुपये से घटकर 440 रुपये प्रति किलो रह गया है। उनका कहना है कि निर्यात कम होने की वजह से घरेलू बाजार में सुलभता बढ़ गई है।केश्यू एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (सीईपीसी) के अनुसार वर्ष 2009 के 11 माह के दौरान 97,360 टन काजू का निर्यात हुआ है। पिछली समान अवधि में यह आंकडा़ 1,03840 टन पर था। इस तरह काजू निर्यात में छह फीसदी गिरावट आई है। सीईपीसी के सचिव शशि वर्मा का कहना है कि आर्थिक संकट के कारण इस दौरान कुल निर्यात में कमी आई है। लेकिन अक्टूबर और नवंबर के दौरान इसके निर्यात में सुधार हुआ है। अक्टूबर में यह 26 फीसदी बढ़कर 8003 टन और नवंबर के दौरान काजू का निर्यात 15 फीसदी बढ़कर 9,549 टन हो गया। देश में काजू का उत्पादन बढ़ने के कारण भी इसके मूल्यों में गिरावट को बल मिला है। देश में वर्ष 2008-09 के दौरान 6।9 लाख टन काजू का उत्पादन हुआ है, पिछले सीजन के मुकाबले यह चार फीसदी अधिक है।कारोबारियों के मुताबिक आगे इसके मूल्यों में और गिरावट आ सकती है। मंगला का कहना है कि फरवरी-मार्च के दौरान काजू की नई फसल आने वाली है। ऐसे में इसके दाम और घटने की संभावना है। इसके अलावा आगे कोई खास त्योहार न होने की वजह से कीमतें कम रह सकती है। उल्लेखनीय है कि देश में केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र उड़ीसा और गोवा में काजू का उत्पादन किया जाता है। इसकी सबसे अधिक मांग दिवाली के त्योहार पर रहती है। देश में काजू का आयात भी किया जाता है। जिसका प्रोसेस करके घरेलू बाजार में बिकने के अलावा निर्यात भी होता है। (बिसनेस भास्कर)
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