नई दिल्ली।। कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि चीनी की कीमतों में एक साल के बाद कम
ी आ जाएगी। मगर, सचाई यह है कि चीनी की कीमत में 3 साल तक कमी आना मुश्किल लग रहा है। खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, चीनी सेक्टर की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। चीनी की कीमत को सामान्य स्थिति में लाने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पडे़गी। उसे अगले तीन साल तक हर साल 25 से 30 लाख टन चीनी का आयात करना पड़ेगा। साथ ही गन्ने की खरीद कीमत को बढ़ाना पड़ेगा। ऐसा करने पर चीनी की कीमत पर अंकुश लगाया जा सकता है। इधर, चीनी के आयात को लेकर सरकार की स्थिति काफी ढुलमुल है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की ऊंची कीमतों को देखते हुए उसे आयात करने का फैसला लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शरद पवार का कहना है कि चीनी के आयात का फैसला उनके अकेले का फैसला नहीं है। यह फैसला कैबिनेट को लेना है। इस वक्त चीनी का स्टॉक लगभग शून्य पर आ चुका है। नवंबर में यह करीब 20 लाख टन था। इस साल चीनी का उत्पादन मात्र 160 लाख टन होने की संभावना है, जबकि खपत 230 लाख टन से ज्यादा की है। इसके अलावा सरकार को अपने स्टॉक में भी 30 लाख टन कैरी स्टॉक का जुगाड़ करना है। इस खाई को भरना मुश्किल है। चीनी मिलों ने आयात शुल्क में छूट मिलने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की ऊंची कीमतों के कारण सफेद चीनी का आयात करना लगभग बंद कर दिया है। सरकार ने हालांकि ओपन जनरल लाइसेंस के तहत कच्चे चीनी का आयात मार्च-2010 तक बढ़ा दिया है। मगर, इसके आयात में सरकार और प्राइवेट कंपनियां ज्यादा उत्सुकता नहीं दिखा रही हैं। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता कन्हैया लाल गिडवानी ने एनबीटी से बातचीत में कहा कि सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा आम ग्राहकों को भुगतना पड़ रहा है। चीनी आयात का फैसला जल्द करना चाहिए। इस मामले में वैसे भी काफी देरी हो चुकी है। अगर और देरी हुई तो चीनी में तेजी का दौर और ज्यादा खींच सकता है। (नवभारत)
08 जनवरी 2010
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