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06 जनवरी 2010

गन्ना पहुंचा 240 पर, 300 के आसार

गन्ना किसानों को आने वाले कुछ दिनों में चीनी मिलों से और अधिक भुगतान मिलने की उम्मीद है
लखनऊ January 05, 2010
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को दाम को लेकर किए गए संघर्ष का मीठा फल मिला है।
उचित बोनस न देने और उपज में कमी के चलते जहां सहकारी क्षेत्र की 6 चीनी मिलें एक महीने की पेराई के बाद ही बंद हो गई हैं वहीं निजी क्षेत्र की दो चीनी मिलें भी बंद हो गई हैं।
आगे और ज्यादा दाम मिलने की उम्मीद में अब किसानों ने गन्ने को रोकना शुरू कर दिया है। किसानों का मानना है कि आने वाले एक महीने में उन्हें आराम से चीनी मिलें 270-280 रुपए प्रति क्विंटल का दाम देंगी।
पश्चिम उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने ज्यादा से ज्यादा गन्ना खरीदने की होड़ में किसानों को अभी से 240 रुपये प्रति क्विंटल का दाम देना शुरू कर दिया है। वहीं बोनस पर सरकार की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश न मिलने के चलते सहकारी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम की मिलों को गन्ने से हाथ धोना पड़ रहा है।
सहकारी क्षेत्र की मझौला, बदायूं, पुवांया, साथा, विलासपुर और रसड़ा की चीनी मिलें एक महीने जैसे-तैसे चलने के बाद बंद हो गई हैं। चीनी निगम की भी सहारनपुर मिल बंद हो गयी है। निजी क्षेत्र की की दो मिलें अगौता और कमलापुर तो चल ही नहीं पाई हैं। इस समय राज्य में कुल 120 चीनी मिलें ही चल रही हैं। जिनमें सहकारी क्षेत्र की एक दर्जन मिलें गन्ना न मिलने के कारण कभी भी बंद हो सकती हैं।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के वी एम सिंह का कहना है कि किसानों की लड़ाई का फल अब मिल रहा है। उनका कहना है कि पेड़ी का गन्ना खत्म हो रहा है और पौध का गन्ना अब आना शुरू होगा। बिानेस स्टैंडर्ड से बातचीत में सिंह ने कहा कि किसान को पौध का गन्ना रोकने पर 300 रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम भी मिल सकता है।
उनका कहना है कि सहारनपपुर में कोल्हू पर किसानों को गन्ने का 280 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिलना शुरू हो गया है। सहकारी क्षेत्र की मिलों के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना है कि हमारी राज्य सरकार से पहले ही हुई बातचीत में यह साफ हो गया था कि जो भी अधिकतम दाम एक चीनी मिल देगी वही दाम बाकी मिलों को भी देना होगा लेकिन सहकारी मिलों के लिए जो आदेश आया उसमें असमानता थी।
सहकारी मिलों ने पहले तो 165 रुपये प्रति क्विंटल और फिर 190 रुपये प्रति क्विंटल के दाम से गन्ना खरीदा और बाद में 210 रुपये प्रति क्विंटल का दाम दिया जिसके चलते परेशानी खड़ी हुई है। वीएम सिंह का कहना है कि अगर गन्ना किसानों की लड़ाई को शुरुआत में कुछ लोगों ने दिल्ली की ओर न मोड़ा होता तो बहुत पहले से ही अच्छा दाम मिलने की शुरुआत हो जाती।
पश्चिमी उप्र की चीनी मिलों में ज्यादा से ज्यादा गन्ना खरीदने की होड़फिलहाल किसानों को दिए जा रहे हैं 240 रुपये प्रति क्विंटल के दामगन्ने की किल्लत ने जगाई अधिक दाम की आसकिसानों को 280 से 300 रुपये मिलने की उम्मीद (बीएस हिन्दी)

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