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06 जनवरी 2010

चीनी के दाम रेकॉर्ड स्तर पर

नई दिल्ली।। मांग और आपूर्ति में बने हुए अंतर से मंगलवार को थोक बाजार में चीनी का भाव रेकॉर्ड स्तर स्तर पर चला गया है। मौजूदा त्योहारी और शादियों के सीजन होने से बाजार में चीनी की आपूर्ति पर लगातार दबाव बना हुआ है। इस दबाव के चलते दिल्ली के थोक बाजार में चीनी का भाव 4,250 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। चीनी की कीमत में पिछले एक साल में दोगुने का उछाल आया है। इस वक्त खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 41 रुपये प्रति किलो पर चल रही है। कारोबारियों के मुताबिक नए साल, क्रिसमस और शादियों के सीजन की वजह से चीनी की मांग में तेजी आई है। कारोबारी कह रहे हैं कि बाजार में मांग में जिस रफ्तार से इजाफा हुआ है उससे मांग और आपूर्ति के बीच अंतर और बढ़ गया है। कारोबारी कह रहे हैं कि सॉफ्टड्रिंक्स बनाने वाली कंपनियों और रीटेलरों की ओर से चीनी के नए कॉन्ट्रैक्ट मिलों को दिए जा रहे हैं, जबकि मिलों में चीनी के कम उत्पादन की वजह से इसकी सप्लाई पर दबाव बना हुआ है। कारोबारी कह रहे हैं कि मौजूदा शादियों का सीजन अभी जारी रहने वाला साथ ही मकर संक्रांति भी आने वाली है। ऐसे में आने वाले कुछ दिनों में भी चीनी की मांग में तेजी बने रहने की उम्मीद है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक चीनी का भाव स्थानीय बाजार में 41 रुपये तक पहुंच गया है। दिल्ली थोक बाजार के कारोबारियों का कहना है कि चीनी में और तेजी आ सकती है क्योंकि यह 4,150-4,250 रुपये प्रति क्विंटल पर पहले ही पहुंच गई है। इससे पहले 19 दिसंबर को चीनी का थोक भाव 3,590-3,700 रुपये प्रति क्विंटल पर था। शुगर मीडियम की कीमत में 100 रुपये का उछाल आया और कीमत 4,150-4,250 रुपये पर पहुंच गई। साथ ही स्मॉल ग्रेड शुगर की कीमत भी 100 रुपये उछलकर 4,140-4,240 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। इसी तरह से मिल गेट चीनी (जिसे कंपनियां सीधे फैक्ट्री से बिना किसी ड्यूटी के बेचती हैं) की कीमत भी 70 रुपये से लेकर 100 रुपये तक उछली। देश की एक प्रमुख चीनी मिल के अधिकारी के मुताबिक चीनी की घरेलू कीमत में आ रहा उछाल इसकी वैश्विक कीमतों में आ रहे उछाल की वजह से है। लंदन में चीनी की कीमत 718 डॉलर (33,229 रुपये) प्रति टन पर चली गई है। अधिकारी के मुताबिक, 'उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य की चीनी मिलों में आयातित कच्ची चीनी पर लगाई गई रोक से भी चीनी का भाव उछल रहा है।' घरेलू चीनी कंपनियों ने 15 दिसंबर तक 50 लाख टन से ज्यादा कच्ची चीनी के आयात के कॉन्ट्रैक्ट किए हैं। विदेशी बाजारों में चीनी की ऊंची कीमतों के चलते मिल भी अब नए कॉन्ट्रैक्ट करने से बच रही हैं। जबकि देश में मांग और आपूतिर् के अंतर को पूरा करने के लिए 20 लाख टन अतिरिक्त चीनी की जरूरत होगी। (ई टी हिन्दी)

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