नई दिल्ली January 07, 2010
एक साल के दौरान सभी आवश्यक जिंसों की कीमतों में कम से कम 25 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।
चीनी और दाल में यह बढ़ोतरी 90 फीसदी से अधिक की है। सिर्फ तेल के भाव में पिछले एक साल में कमी आई है। इस लिहाज से खाने-पीने की जरूरी चीजों की कीमतों में औसतन 40 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है।
हालांकि कुछ चीजों की कीमतों में आने वाले समय में गिरावट की संभावना है। पर जनवरी, 2009 के भाव स्तर पर ये चीजें इस साल किसी भी हाल में नहीं आएंगी। कृषि जिंस विशेषज्ञ आलू-प्याज से लेकर गेहूं, चावल तक के भाव में बढ़ोतरी के लिए उत्पादन को जिम्मेदार बता रहे हैं।
हालांकि गेहूं के उत्पादन में इस साल पिछले साल के मुकाबले भारी बढ़ोतरी की संभावना है। क्योंकि इसके रकबे में 6 लाख हेक्टेयर से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन चावल के उत्पादन में 120 लाख टन तक कमी का असर गेहूं की कीमतों पर पड रहा है।
अप्रैल में गेहूं की नई फसल आने पर गेहूं की न्यूनतम कीमत 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक हो सकती है जबकि 2009 के अप्रैल माह में गेहूं की कीमत 1100 रुपये प्रति क्विंटल थी। चीनी की कीमत में कमी आने की कोई उम्मीद नहीं है। कारोबारियों के मुताबिक उत्पादन जरूरत के मुकाबले लगभग 80 लाख टन कम है। आयातित चीनी भी महंगी है और वह और महंगी होने वाली है।
अरहर दाल के दाम निश्चित रूप से फरवरी के मध्य तक थोक बाजार में 50-55 रुपये प्रति किलोग्राम हो जाएंगे, लेकिन यह भी पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी तक अधिक होंगे। अनाज कारोबारियों के मुताबिक चावल, गेहूं, चीनी जैसे जिंसों के भाव बढने से कहीं न कहीं उनका कारोबार भी प्रभावित होता है।
गत अगस्त-सितंबर के दौरान चीनी के भाव में अचानक 4 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी आने से चीनी की आपूर्ति प्रभावित हो गई तो नवंबर के आखिरी सप्ताह में गेहूं दड़ा के दाम 1450 रुपये प्रति क्विंटल तक जाने पर थोक बाजार में गेहूं की कमी बतायी जाने लगी थी।
कारोबारी कहते हैं, 'कीमत स्थिर रहने से अनाज का कारोबार भी स्थिर गति से चलता है। कोई अफरा-तफरी नहीं मचती है। और न ही उन पर कालाबाजारी या जमाखोरी के आरोप लगते हैं।' (बी स हिन्दी)
08 जनवरी 2010
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