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08 जनवरी 2010

बैटरी निर्माताओं की मांग से लेड के दाम बढ़कर दोगुने

बैटरी निर्माताओं की ओर से लेड की मांग बढ़ने से एक साल में दाम दोगुने से भी अधिक बढ़ चुके हैं। दरअसल लेड का सबसे अधिक 71 फीसदी उपयोग बैटरी निर्माण में होता है। इस दौरान वाहनों की बिक्री में इजाफा होने से बैटरी की मांग बढ़ी है। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में साल भर में लेड के दाम 1,177 डॉलर से बढ़कर 2582 डॉलर प्रति टन हो चुके हैं। वहीं घरेलू बाजार में इसकी कीमत 55 रुपये से बढ़कर 119 रुपये प्रति किलो हो गई है। मेटल कारोबारी सुरेशचंद गुप्ता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि आर्थिक हालात सुधरने से लेड की मांग में बढ़ोतरी हुई है। इस वजह से इसके दाम घरेलू बाजार में दोगुने से भी अधिक बढ़े हैं। पिछले एक माह के दौरान इसकी कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उनका कहना है कि ऑटो सेक्टर की बिक्री बढ़ने के कारण बैटरी की मांग में इजाफा हुआ है। एक्साइड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के डायरेक्टर (ऑटोमेटिव) पी। के. काटजू का कहना है कि चालू वित्त के दौरान बैटरी की बिक्री 15 फीसदी से अधिक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में वर्ष 2009 के दौरान जुलाई से लगातार कारों की बिक्री बढ़ रही है। भारतीय वाहन निर्माताओं के संघ सियाम के आंकडा़ें के अनुसार जुलाई में ऑटो कंपनियों की बिक्री 20 फीसदी बढ़कर 9.41 लाख वाहन तक पहुंच गई। इसके बाद हर माह ऑटो की बिक्री दहाई अंकों में बढ़ रही है। पिछले माह बिक्री 49 फीसदी बढ़कर 1.19 लाख यूनिट रही। भारत के अलावा चीन, अमेरिका में भी ऑटो की बिक्री बढ़ने के कारण लेड की कीमतों में तेजी को बल मिला है। इसके अलावा गर्मियों के दौरान इनवर्टर में उपयोग होने वाली बैटरी की मांग बढ़ने के कारण भी लेड की कीमतों में वृद्धि हुई है। गौरतलब है वर्ष 2008 और पिछले साल की शुरूआत में आर्थिक संकट के चलते लेड की मांग में खासी कमी आई थी। लेैड की सबसे अधिक खपत बैटरी निर्माण में 71 फीसदी होती है। इसके अलावा पिगमेंट व केमिकल्स में 12 फीसदी, शीट व एक्सट्रूजन में सात फीसदी, हथियार निर्माण में छह फीसदी और अन्य में चार फीसदी की खपत होती है। वहीं विश्व में लेड का उत्पादन सबसे अधिक एशिया में 48 फीसदी होता है। इसके अलावा अमेरिका में 26 फीसदी, यूरोप में 22 फीसदी, ओसियानिया में तीन फीसदी और अफ्रीका में दो फीसदी लेड का उत्पादन किया जाता है। (बिसनेस भास्कर)

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