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07 जनवरी 2010

रबर की मार से बढ़े टायर के दाम

कोच्चि January 06, 2010
प्राकृतिक रबर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते प्रमुख टायर कंपनियों ने टायरों के दाम बढ़ा दिए हैं।
अपोलो टायर्स और जेके टायर्स जहां पहले ही कीमतें बढ़ा चुकी हैं, वहीं अन्य कंपनियां दाम बढ़ाने की तैयारी में हैं। उद्योग सूत्रों के मुताबिक, इस महीने के अंत तक सभी ब्रांडों के टायर महंगे हो जाएंगे।
उधर टायर उद्योग की अच्छी मांग के कारण दिसंबर 2009 में भारत के प्राकृतिक रबर की खपत 16.41 प्रतिशत बढ़कर 79,500 टन हो गई। रबर बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष की समान अवधि में भारत में 68,290 टन रबर की खपत हुई थी।
तथापि प्रतिकूल मौसम और कुछ क्षेत्रों में पुराने वृक्षों से कम दूध निकाले जाने के कारण दिसंबर 2009 में प्राकृतिक रबर का उत्पादन 2.2 प्रतिशत घटकर 98,000 टन रह गया। जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में भारत ने 1,00,225 टन प्राकृतिक रबर का उत्पादन किया था।
अपोलो टायर्स के निर्माण और विपणन प्रमुख सतीश शर्मा के मुताबिक ट्रक टायरों के औसत भारित मूल्य 7 फीसदी बढ़ चुके हैं। बिानेस स्टैंडर्ड को उन्होंने बताया कि बाजार इस वृद्धि की उम्मीद कर रहा था। दरअसल प्राकृतिक रबर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और इसकी किल्लत की खबरें लगातार आ रही थीं।
उन्होंने कहा, 'रबर के और महंगे होने का अनुमान कर हमने एक बार में खासी बढ़ोतरी कर दी है। बाजार पर हमारी नजर है और आगे परिस्थिति के मुताबिक उचित निर्णय लेंगे।' टायर महंगा करने वाली अन्य कंपनी जेके टायर्स ने केवल हल्के ट्रकों को बख्शा है। कंपनी ने विदेश में टायरों को औसतन 2 से 5 फीसदी महंगा कर दिया है।
बढ़ोतरी दिसंबर के अंतिम हफ्ते और 1 जनवरी से लागू हो गई। कंपनी के विपणन निदेशक ए. एस. मेहता ने कहा कि रबर की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते टायरों के काफी महंगा होने का अनुमान पहले से था। इसलिए इसके महंगा होने से बाजार की कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं हुई।
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के महानिदेशक राजीव बुद्धराजा के मुताबिक, प्राकृतिक रबर के काफी महंगा होने से टायर उद्योग बहुत मुश्किल स्थिति में है। चिंता की वजह रबर की ऊंची कीमत नहीं बल्कि ज्यादा कीमत चुकाने के बावजूद रबर का न मिल पाना है।
मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों (अप्रैल से नवंबर) में टायर उद्योग ने 3.564 लाख टन प्राकृतिक रबर की खपत की है। यह कुल घरेलू खपत का 58 फीसदी है। इस बीच प्राकृतिक रबर की प्रमुख किस्म आरएसएस-4 के दाम प्रति किलो 138 रुपये तक पहुंच गए हैं।
कोच्चि के कारोबारियों का कहना है कि रबर की आपूर्ति अभी सीमित है। उम्मीद है कि आरएसएस-4 रबर 150 रुपये किलो के पार जा सकता है; जबकि इसका वायदा भाव 160 रुपये से भी ज्यादा हो सकता है।
अभी और बढ़ोतरी की उम्मीद
अपोलो टायर्स और जेके टायर्स पहले ही बढ़ा चुकी हैं कीमतें इस माह के अंत तक और कंपनियां भी बढ़ाएंगी दामप्राकृतिक रबर आरएसएस-4 के दाम पहुंचे 138 रुपये किलोदिसंबर में 16।41 प्रतिशत बढ़ी रबर की खपत (बीएस हिन्दी)

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