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18 दिसंबर 2009

इस्पात की मांग से चढ़ा पिग आयरन

मुंबई December 18, 2009
इस्पात और फाउंड्री सेक्टर से अचानक बढ़ी मांग से पिग आयरन) उत्पादकों ने इसके हाजिर भाव में 6 से 8 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है।
इस तेजी से इस्पात सेक्टर में खपत होने वाले पिग आयरन की कीमत बढ़कर 16,500-18,000 रुपये प्रति टन जबकि फाउंड्री सेक्टर के लिए इसके दाम 18,500 से 20,000 रुपये प्रति टन हो गए हैं। इस तरह दोनों सेक्टरों में पिग आयरन के दाम 1,200 से 1,500 रुपये प्रति टन बढ़ गए हैं।
जानकारों का मानना है कि कीमतों में बढ़ोतरी अनिवार्य हो गई थी। कच्चे उत्पादों के महंगा हो जाने के बाद पिग आयरन उत्पादक अभी बहुत कम मुनाफे पर उत्पादन कर रहे हैं। लौह अयस्क के दाम धीरे-धीरे 99 डॉलर से चढ़कर 106 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गए।
पिछले एक महीने में कोयले के दाम भी 214 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 246 डॉलर प्रति टन हो गए हैं। एक टन पिग आयरन के उत्पादन पर 7-8 क्विंटल कोयला और 1.65 टन लौह अयस्क की खपत होती है।
नाम न छापने की शर्त पर पिग आयरन के एक उत्पादक ने बताया, 'मौजूदा कीमत पर हम केवल अपनी लागत निकाल पा रहे हैं। कच्चा माल महंगा होने से बढ़ी कीमत का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने के सिवा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा।'
उद्योग के समक्ष दो विकल्प थे। एक, उत्पादों की कीमत बढ़ाए जाएं या संयंत्र को बंद कर दिया जाए। चूंकि बंद संयंत्र को दुबारा शुरू करना दुरूह होता है। इसलिए कीमतें बढ़ाना उचित माना गया। इस साल के शुरू में मंदी के चलते इस्पात उद्योग की क्षमता जो घटकर 50 फीसदी रह गई थी, अब बढ़कर 70 फीसदी तक पहुंच गई है।
अर्थव्यवस्था के सुधरने से इस्पात की मांग बढ़ी है। इससे कच्चे माल की मांग भी बढ़ी है। देश की औसत जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी के पार जाने का अनुमान है। विदेशों से कम मांग के चलते कई बड़ी कंपनियों पर काफी बुरा असर पड़ा है। निर्यात घटने से इन कंपनियों ने अपना ध्यान फिलहाल घरेलू बाजार पर फोकस कर लिया है।
सूत्रों के मुताबिक, अगले कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है। कीमतों में तब और तेजी हो सकती है। मौजूदा कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से ही निर्यात मांग लगभग खत्म हो गई। कई उत्पादकों को अपना संयंत्र बंद करने को मजबूर होना पड़ा। घटी परिचालन क्षमता और मांग में आई उछाल से भंडार अब खत्म हो चुका है।
सौराष्ट्र फेरस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम अपना संयंत्र बंद नहीं करेंगे क्योंकि इसे दुबारा शुरू करने में काफी खर्च होता है।'
पिग आयरन का उत्पादन (लाख टन में)
वर्ष उत्पादन2004-05 32.282005-06 46.952006-07 49.932007-08 53.142008-09 52.८९ (बीएस हिन्दी)

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