मुंबई December 14, 2009
आटा मिलों ने खुले बाजार में गेहूं की ऑनलाइन बिक्री करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है। मिलों का मानना है कि इस फैसले से उनकी परिचालन क्षमता बढ़ेगी।
देश की 1,200 से 1,300 आटा मिलों को सूजी और मैदा उत्पादन के लिए करीब 70 लाख टन गेहूं की दरकार है। लेकिन गेहूं की कमी और सरकार द्वारा भंडार के नियमन से ये मिलें अपनी क्षमता का महज 40 फीसदी ही इस्तेमाल कर पा रही हैं।
फिलहाल वे खुले बाजार से 1,200 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रही हैं। कीमतों में उतार-चढ़ाव से मिलों को सूजी और मैदा की कीमतें तय करने में परेशानी हो रही है।
महाराष्ट्र रोलर फ्लोर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल लाल सेठ मोहता ने बताया, 'अब गेहूं के ऑनलाइन कारोबार से हमें स्थिर कीमत पर अपनी जरूरत के मुताबिक अधिकतम गेहूं खरीदने में मदद मिलेगी। इससे सूजी और मैदा की कीमतें स्थिर हो सकेंगी। यह स्वागतयोग्य कदम है।'
मालूम हो कि सरकार ने पिछले हफ्ते भारतीय खाद्य निगम को एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स का ऑनलाइन हाजिर एक्सचेंज) और नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एमसीएक्स का ऑनलाइन हाजिर एक्सचेंज) के जरिए गेहूं की ऑनलाइन बिक्री की इजाजत दी थी। एफसीआई का गेहूं बेचने के लिए पहली बार किसी प्राइवेट संस्था की मदद ली जा रही है।
ओएमएसएस एक पायलट योजना है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक बाजार में एमएमटीसी, एसटीसी और नेफेड जैसी सरकारी एजेंसियों के दरवाजे खुल जाएंगे। सरकार ने मौजूदा पायलट योजना के जरिए हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में 5 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला लिया है।
एनस्पॉट के प्रमुख राजेश कुमार ने बताया कि यदि यह योजना सफल रही तो और लाखों टन गेहूं बेचा जाएगा। दिल्ली में गेहूं का नीलामी मूल्य 1,433 रुपये, जबकि कर्नाटक में 1,602 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। अब सरकार मान रही है कि गेहूं जैसे मुख्य अनाज के दाम बाजार मूल्य से 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा नहीं बेचे जा सकते।
सरकार ने गेहूं की कीमत 1,400-1,450 रुपये तब तय की है, जब दक्षिण भारत में यह 1,250 रुपये और दिल्ली में 1,100 रुपये प्रति क्विंटल है। (बीस हिन्दी)
15 दिसंबर 2009
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