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01 दिसंबर 2009

काली मिर्च आयात में भारी तेजी

देश का काली मिर्च आयात चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अप्रैल से अक्टूबर तक) के दौरान 11,500 टन रहा है। यह गत वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 44 फीसदी अधिक है। उद्योग जगत से जुड़े एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि वैश्विक बाजार में कीमतों के कम होने और घरेलू बाजार में मांग तेज होने के कारण आयात को बढ़ावा मिला। गत वर्ष अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 8,000 टन काली मिर्च का आयात किया गया था। आयातित काली मिर्च मुख्य रूप से प्रोसेसिंग के लिए होती है। प्रोसेसिंग के बाद इसका निर्यात जाता है। हालांकि वियतनाम के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा काली मिर्च उत्पादक देश है। कर्वी कॉमट्रेड के वरिष्ठ विश्लेषक वीरेश हिरेमथ ने कहा कि भारतीय काली मिर्च के भाव इस समय 3,350 डॉलर प्रति टन के आसपास हैं। जबकि वियतनाम में भाव 3,150 डॉलर प्रति टन और इंडोनेशिया में 3,000 डॉलर प्रति टन हैं। अधिकारी ने बताया कि कम उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में काली मिर्च की कमी आयात बढ़ने का दूसरा प्रमुख कारण है। देश का काली मिर्च उत्पादन पिछले एक दशक से लगातार गिर रहा है। करीब दस सालों में काली मिर्च का उत्पादन 80-85 हजार टन सालाना से गिरकर इस समय करीब 50 हजार टन रह गया है। काली मिर्च के पेड़ कई रोगों से ग्रसित होने का असर उत्पादन पर पड़ रहा है। हालांकि एक जून से शुरू हुए चालू सीजन में मौसम अनुकूल रहने से रकबा बढ़ा है और काली मिर्च का उत्पादन 10 फीसदी बढ़कर 55,000 टन हो सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि जनवरी में नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी तो आयात में भी गिरावट आएगी। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में देश ने 10,750 टन काली मिर्च का आयात किया है। (बिज़नस भास्कर)

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