03 सितंबर 2009
कॉफी निर्यात की ड्यूटी रियायत घटाने का विरोध
इस साल कॉफी के निर्यात में 30 फीसदी की कमी आने की संभावना को देखते हुए निर्यातकों ने सरकार के उस फैसले का विरोध किया है जिसमें कॉफी निर्यात पर ड्यूटी छूट 7.5 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा 200-14 के लिए घोषित विदेश व्यापार नीति से पहले कॉफी निर्यातकों को विशेष कृषि एवं ग्राम उद्योग योजना के तहत 3.5 फीसदी ड्यूटी क्रेडिट मिलती थी। इसके अलावा डीईपीबी स्कीम के तहत 4 फीसदी ड्यूटी ड्रॉ बैक मिलता था। नई नीति लागू के तहत कॉफी निर्यात पर ड्यूटी छूट की अधिकतम सीमा सात फीसदी तय की गई है। कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश राजा के अनुसार सरकार के इस फैसले से कॉफी के निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा। भारत से वर्ष 2008 के दौरान 2.19 लाख टन कॉफी का निर्यात किया गया था।राजा के अनुसार उन्होंने सरकार से कॉफी निर्यात पहले के समान 7.5 फीसदी ड्यूटी रियायत देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि विदेश में मंदी के चलते इस साल भारत का निर्यात कम से कम 30 फीसदी गिर सकता है। अगर 7.5 फीसदी ड्यूटी छूट नहीं दी गई तो निर्यात में गिरावट और ज्यादा हो सकती है। वियतनाम और इंडोनेशिया के बाद भारत एशिया का सबसे बड़ा कॉफी निर्यातक है। यहां से जनवरी से अगस्त के बीच 1.33 लाख टन कॉफी का निर्यात किया गया। पिछले साल इस दौरान 1.64 लाख टन कॉफी विदेश भेजी गई थी। राजा के अनुसार पिछले साल देश में कॉफी का उत्पादन कम रहने के कारण घरेलू बाजार में कॉफी का दाम बढ़ गए हैं, इससे भी कॉफी का निर्यात प्रभावित हो रहा है। विदेश के मुकाबले भारत में कॉफी महंगी होने से निर्यात फायदेमंद नहीं रह गया है।कॉफी बोर्ड के अनुसार पिछले साल देश में कॉफी का उत्पादन पांच फीसदी घटकर 2.62 लाख टन रह गया था। भारतीय कॉफी महंगी होने के कारण आयातक दूसरे देशों जैसे वियतनाम और इंडोनेशिया की ओर रुख कर रहे हैं। राजा ने बताया कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत में विभिन्न किस्मों की क्वालिटी 10 से 30त्न तक महंगी है। भारत में पैदा 80त्न कॉफी का निर्यात किया जाता है। भारत से मुख्य रूप से इटली, रूस, जर्मनी, बेल्जियम और अरब देशों को कॉफी का निर्यात होता है। (बिज़नस भास्कर)
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