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03 सितंबर 2009

बड़ी कंपनियों पर चीनी की स्टॉक समय सीमा बढ़ने के आसार नहीं

केंद्र सरकार चीनी की ज्यादा खपत करने वाली कंपनियों पर लगी 15 दिन की स्टॉक समय सीमा को नहीं बढ़ाएगी। खाद्य मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी के मुताबिक सरकार खुले बाजार में चीनी की सप्लाई बढ़ाकर कीमतों को नियंत्रित कर रही है इसलिए इन कंपनियों पर स्टॉक की समय सीमा को नहीं बढ़ाया जायेगा। भारतीय उद्योग परिसंघ ने केंद्र सरकार से स्टॉक लिमिट की अवधि को बढ़ाकर 30 दिन करने की मांग की है। उद्योग के अनुसार कंपनियों को चीनी की खरीद के लिए सौदे करने के बाद से ट्रांसपोर्ट आदि में करीब छह सप्ताह का समय लग जाता है। केंद्र सरकार द्वारा 22 अगस्त को जारी एक आदेश में कहा गया था कि जो कंपनियां हर माह 10 क्विंटल से ज्यादा चीनी की खपत करती हैं, वे 15 दिन से ज्यादा का स्टॉक नहीं रख सकती हैं। इससे कोका-कोला, नेस्ले, पेपिस्कों, हिदुस्तान यूनीलीवर, ब्रिटानियां और अन्य बड़ी कंपनियों पर असर पड़ा है। स्टॉक लिमिट लागू होने के बाद कंपनियों की खरीद पहले की तुलना में घटी है। चीनी के एक कारोबारी ने बताया कि बड़ी कंपनियां दैनिक खपत के हिसाब से करीब डेढ़ से दो महीने का स्टॉक रखती हैं।पहली अक्टूबर से चीनी का नया पेराई सीजन शुरू हो जायेगा। पिछले साल नये सीजन के समय चीनी का लगभग 100 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ था। पर चालू सीजन में उद्योग के अनुसार स्टॉक मात्र 27 लाख टन ही बचने की संभावना है। नए सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 150 लाख टन होने की संभावना है। जबकि देश की सालाना खपत 220 लाख टन की है। ऐसे में आगामी चीनी सीजन में भी देश को भारी मात्रा में चीनी का आयात करना पड़ेगा। चालू सीजन में रॉ-शुगर के लगभग 40 लाख टन के आयात सौदे हो चुके हैं। भारत की मांग में बढ़ोतरी के कारण ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में रॉ-शुगर के भाव बढ़कर 24.14 सेंट प्रति पाउंड हो गये हैं। सरकारी बंदिशों के बावजूद भी फुटकर में चीनी के दाम 32 रुपये प्रति किलो से ऊपर ही बने हुए हैं। थोक बाजार में जरूर पिछले एक सप्ताह में चीनी की कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। बुधवार को दिल्ली थोक बाजार में चीनी के दाम घटकर 2950 रुपये और उत्तर प्रदेश में एक्स-फैक्ट्री भाव घटकर 2850 रुपये प्रति क्विंटल रह गये। (बिज़नस भास्कर....र स रना)

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