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02 सितंबर 2009

कम गन्ने की फांस, आयातित चीनी से बढ़ेगी मिठास

नई दिल्ली September 01, 2009
हाल के दिनों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से चीनी की खरीद तेज कर दी है।
साथ ही कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि भारत 2009-10 चीनी सत्र के दौरान चीनी का आयात करेगा। कारोबारियों का कहना है कि स्टॉक में बहुत ज्यादा कमी होने की वजह से खरीद में तेजी आई है।
चीनी के उत्पादन में कमी के अंतर को पाटने के लिए भारत अक्टूबर से शुरू होने वाले 2009-10 के सत्र में चीनी का आयात करेगा। खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने आज एक सम्मेलन में कहा, 'वर्ष 2009-10 के चीनी सत्र के दौरान गन्ना उपलब्धता के आरंभिक अनुमान के अनुसार ऐसी उम्मीद है कि भारत आयात के जरिए चीनी की घरेलू उपलब्धता को पूरा करने की जरूरत महसूस करेगा।'
विश्व के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश द्वारा चीनी की खरीद के चलते लंदन में चीनी की वायदा कीमतें 28.5 साल के अधिकतम स्तर पर पहुंच गई हैं। उधर भारत के कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि मॉनसून कमजोर होने की वजह से गन्ने की फसल में कमी आ सकती है।
उन्होंने कहा कि हम अगला चीनी सत्र 1 अक्टूबर 2009 में शुरू करने जा रहे हैं, हमारे पास पिछले साल की चीनी बहुत कम बची है। पवार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि चीनी का स्टॉक कितना होगा, लेकिन जुलाई की शुरुआत में सरकार ने कहा था कि स्टॉक 35-40 लाख टन का हो सकता है, जो उद्योग जगत के आंकड़ों से बहुत ज्यादा है।
पिछले सप्ताह नैशनल फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के प्रमुख जेबी पटेल ने कहा था कि ओपनिंग स्टॉक 27 लाख टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 100 लाख टन की तुलना में बहुत कम होगा। मंगलवार को कच्ची चीनी का वायदा कारोबार 0.29 प्रतिशत बढ़ा और कीमतों में कुल बढ़ोतरी 24.68 प्रतिशत हो गई है। यह फरवरी 1981 के बाद का उच्चतम स्तर है।
किंग्समैन ब्रोकरेज के प्रमुख जोनाथन किंग्समैन ने एजेंसी से कहा, 'पिछले 3 सप्ताह के दौरान भारत ने अनुमानत: 10 लाख टन कच्ची चीनी का आयात किया है। हमारी सूचना के मुताबिक भारत पहले ही 40 लाख टन चीनी खरीद चुका है, जबकि उसकी कुल जरूरत 60 लाख टन की है।' किंग्समैन ने कहा कि भारत करीब 9,00,000 टन कच्ची चीनी का आयात ब्राजील से पिछले 3 सप्ताह में कर चुका है।
कारोबारियों ने कहा कि भारत ने 60,000 टन थाई व्हाइट शुगर की खरीद की है, जबकि अक्टूबर तक कुल खरीद 1,00,000 टन तक पहुंचने की उम्मीद है। दिल्ली में कारोबारियों के एक सम्मेलन में कहा गया कि थाई ह्वाइट शुगर 5 से 10 डॉलर प्रति टन की छूट पर मिल रही है, जो सौदे लंदन के अक्टूबर कांट्रैक्ट में हुए थे। थाईलैंड से भारत लाने में 20-30 डॉलर प्रतिटन मालभाड़ा लग रहा है।
लंदन में चीनी वायदा मंगलवार को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। अक्टूबर सौदा 602.40 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड ऊंचाई पर हुआ। बलरामपुर चीनी मिल ने 1,00,00 से 1,25,000 टन कच्ची चीनी के आयात के सौदे किए हैं, वहीं सिंभावली शुगर्स ने कहा कि कंपनी ने 1,63,000 टन कच्ची चीनी का आयात इस सत्र के दौरान किया है।
कठिन दौर
बढ़ती कीमतों और घटती मांग से भी चिंता बढ़ रही है। हाल के सप्ताह में मॉनसूनी बारिश फसलों वाले इलाकों में कमजोर रही है। पवार ने कहा कि देश एक कठिन दौर से गुजर रहा है, मॉनसूनी बारिश कम हुई है। इससे न केवल फसलों की बुआई प्रभावित हुई है, बल्कि उत्पादकता पर भी असर पड़ेगा।
श्री रेणुका शुगर्स के मुख्य कार्यकारी नरेंद्र मुरकुंबी ने कहा कि भारत की वार्षिक मांग का 30 प्रतिशत (कुल वार्षिक मांग 230 लाख टन) आयात से पूरा करना पड़ेगा। इस हिसाब से करीब 70 लाख टन चीनी का आयात करना होगा। उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि इसमें से 30 लाख टन कच्ची चीनी का आयात हो चुका है, जिसका प्रयोग अगले सत्र में होगा। (बीएस हिन्दी)

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