मुंबई July 07, 2009
मानवनिर्मित फाइबर, यार्न और सिंथेटिक वस्त्र उद्योग के कई अन्य इनपुट पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से सिंथेटिक वस्त्र उद्योग को लगता है कि कारोबार करना और भी कठिन हो जाएगा।
सिंथेटिक वस्त्र उद्योग में उत्पाद शुल्क 4 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया गया है। शुल्क के बढ़ाए जाने के बाद यह उद्योग खुद को मुश्किलों से घिरा हुआ देख रहा है। पहले से मंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था में सिंथेटिक वस्त्र उद्योग के लिए उपभोक्ताओं के समक्ष कीमतों में बढ़ोतरी करना आसान नहीं होगा।
यह आशंका जताई जा रही है कि केंद्र सरकार के द्वारा हाल में उठाए गए कदम से रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडोरामा इंडस्ट्रीज, बॉम्बे रेयॉन, ग्रासिम इंडस्ट्रीज सहित अन्य प्रमुख कंपनियां बुरी तरह प्रभावित होंगी।
इंडोरामा सिंथेटिक के प्रबंध निदेशक ओ पी लोहिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'मानवनिर्मित फाइबर के लिए उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी करने के पीछे केंद्र सरकार के तर्क को समझ पाना आसान नहीं है। फिलहाल यह सही समय नहीं है कि उत्पादों की कीमतें बढ़ा दी जाएं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि बाजार मंदी से अभी उबरा नहीं है और साथ ही उपभोक्ता भी अधिक कीमत देने के लिए तैयार नहीं होंगे। आगे चल कर हम कीमतों को धीरे-धीरे बढ़ाएंगे।'
मालूम हो कि वैश्विक परिधान व्यापार में सिंथेटिक वस्त्रों की हिस्सेदारी करीब 65-70 फीसदी है जबकि सिंथेटिक वस्त्रों में भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी लगभग 20-25 फीसदी है। घरेलू वस्त्र उद्योग में कॉटन अभी भी सबसे ज्यादा पसंद किया जाना वाला सेग्मेंट है।
जबरदस्त प्रतिस्पर्धा, अत्यधिक क्षमता और मांग में मंदी ने कंपनियों के बीच कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है। बॉम्बे रेयॉन फैशन के कार्यकारी निदेशक (वित्त) ए आर मुन्द्रा ने बताया, 'कंपनी इन सभी परिस्थितियों से लड़ने की कोशिश करेगी लेकिन यह बेहद मुश्किल भी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि न ही कोई खरीदार है और न ही क्षमताएं।'
लोहिया ने यह भी बताया कि बीते कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाने की वजह से इस उद्योग के लिए व्यापार करना आसान नहीं होगा। बाजार की आम धारणा यही है कि उत्पाद शुल्क बढ़ जाने की वजह से उसका बोझ उपभोक्ताओं पर डालना किसी भी नजरिए से उचित नहीं है।
बॉम्बे यॉन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष जयकृष्ण पाठक ने बताया, 'पहले जब उत्पाद शुल्क में कटौती किया गया था तो उस वक्त खास कर मुख्य धारा के बुनकरों को कोई फायदा नहीं मिला था लेकिन अब उनकी उत्पादन क्षमता काफी सुदृढ हो चुकी है और वे कीमतों में बढ़ोतरी को पाट सकते थे। लेकिन स्थानीय बाजारों के लिए कीमतों में बढ़ोतरी को पचा पाना आसान नहीं होगा।'
बांसवाड़ा सिंटेक्स के प्रबंध निदेशक आर एल तोषनीवाल ने बताया, 'उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी किए जाने की वजह से मिश्रित यॉर्न क्षेत्र में मामूली मुनाफा भी गायब हो जाएगा।'
सिंथेटिक और रेयान वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष जी के गुप्त ने बताया कि उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी होने की वजह से निर्यात आधारित इकाइयों पर प्रतिकुल असर पड़ेगा। उन्होंने बताया, 'इस तरह की पहल से निर्यात की विकास दर में गिरावट का सामना करना पड़ता है।' (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें