मुंबई July 07, 2009
सोने और चांदी के आयात पर सीमा शुल्क दोगुना किए जाने से आयातित सोने और घरेलू रिफाइंड सोने की कीमतों के बीच अंतर आएगा।
अतिरिक्त कर के चलते यह करीब 3-3.5 प्रतिशत (प्रति 10 ग्राम) होगा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के भारतीय उपमहाद्वीप के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा ने कहा कि इसकी वजह से सोने की तस्करी बढ़ सकती है, खासकर त्योहारों के मौसम में, जब इसकी मांग बहुत ज्यादा होती है।
बजट के प्रावधानों पर डब्ल्यूजीसी ने चेतावनी दी है कि सोने के आयात पर शुल्क बढ़ाए जाने से सोने के बाजार पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जो पहले से ही कीमतें ज्यादा होने और उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कम होने के चलते दबाव में है।
मित्रा ने कहा, 'भारत में सोने का कारोबार कीमतों के प्रति बहुत ही संवेदनशील है। हाल ही में अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये के कमजोर होने और वैश्विक मंदी के चलते सोने के स्थानीय बाजार को तोड़कर रख दिया था।
सरकार की घोषणा दुधारी तलवार की तरह है- एक तरफ जहां हम व्यापक रूप से विश्वास बनाए रखने के कदम का स्वागत करक रहे हैं, जिससे लगता है कि ग्राहकों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, वहीं हम अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाए जाने से डरे भी हुए हैं, क्योंकि इसका भार अंत में ग्राहकों के ऊपर ही पड़ने जा रहा है।'
डब्ल्यूजीसी ने भारत के केंद्रीय बैंक और वित्त तथा वाणिज्य मंत्रालय के साथ मिलकर 1990 में कोशिश की थी कि देश में सोने का प्रवाह बनाने के लिए आयात को शुल्क मुक्त किया जाए। आयात शुल्क के स्थिर रहने से भारतीय बाजार को अधिकृत तरीके से विकसित होने की सुरक्षा मिलती है।(BS Hindi)
08 जुलाई 2009
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