मुंबई July 07, 2009
मुंबई के झावेरी बाजार में सोने की बिक्री में मंगलवार को 20 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी प्रमुख वजह है कि खुदरा निवेशक कीमती धातुओं को छोड़कर इक्विटी बाजार में निवेश कर रहे हैं।
सेंसेक्स गिरकर 14,000 अंकों पर पहुंच गया, जिसकी वजह से निवेशकों को नए अवसर मिले हैं, जिससे कि वे अपना पैसा भविष्य में बेहतर मुनाफे के लिए बाजार में लगा सकें।
बांबे बुलियन एसोसिएशन के सदस्य और सोने के खुदरा कारोबारी केतन श्राफ ने कहा कि जबसे वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट में उम्मीद जाहिर की है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृध्दि दर पिछले साल के 6.7 प्रतिशत से ऊपर रहेगी, खुदरा निवेशक अपने फंड को कीमती धातुओं में निवेश की बजाय इक्विटी बाजार में पैसा लगाना बेहतर समझ रहे हैं।
हालांकि उम्मीद की जा रही है कि विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में अभी भी गिरावट जारी रहेगी। सोने की कीमतें 14,000-14,500 रुपये प्रति 10 ग्राम (900-950 डॉलर) के बीच बनी रहने की संभावना है, क्योंकि डॉलर कमजोर है और वैश्विक बाजार में मजबूती बनी है। श्राफ ने कहा कि उच्च कीमतें भी एक प्रमुख वजह है, जिसके चलते निवेशक नई खरीद नहीं कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने 2009-10 के बजट में कीमती धातुओं पर लगने वाली लेवी को पुनरीक्षित करने की जरूरत बताते हुए सोने और चांदी के आयात पर सीमा शुल्क दोगुना करने का ऐलान किया था। 2004 को आधार बनाते हुए, जब कीमती धातुओं पर सीमा शुल्क लगाया गया था, मंत्री ने सोने की छड़ों और सिक्कों पर 100 प्रतिशत कर बढ़ाते हुए क्रमश: 100 रुपये प्रति 10 ग्राम और 200 रुपये प्रति 10 ग्राम कर दिया था।
इसके साथ ही सोने के अन्य रूपों पर सीमा शुल्क (आभूषण को छोड़कर) 250 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति 10 ग्राम कर दिया गया है। इसी तरह से सरकार ने चांदी पर भी आयात शुल्क बढ़ा दिया है। आभूषणों को छोड़कर चांदी के आयात पर कर 500 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है।
इसके पीछे तर्क यह है कि सोने पर कर कई बार बढ़ाया गया है, लेकिन 2004 के बाद चांदी पर कर में बढ़ोतरी नहीं की गई। मुंबई स्थित कीमती धातुओं पर शोध करने वाली संस्था बीएन वैद्य ऐंड एसोसिएट्स के विश्लेषक भार्गव वैद्य ने कहा कि सोने पर लगा कर उम्मीद के मुताबिक था, लेकिन चांदी पर कर बढ़ाए जाने पर थोड़ा आश्चर्य जरूर हो रहा है।
वैद्य ने कहा कि इसमें निराशा की बात हमारे लिए एक ही है कि अतिरिक्त लेवी के प्रयोग से फंड बढ़ाया गया। हमने कहा था कि फंड का प्रयोग जौहरियों के हितों के लिए होना चाहिए, जो प्रावधान में नहीं है। बांबे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया ने कहा कि लेवी से अतिरिक्त राजस्व आने की संभावना कम ही है, इससे सोने के उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे घरेलू बाजार में बिक्री कम होने की उम्मीद है।
हुंडिया ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में भी सोने के आयात में कमी आएगी, क्योंकि आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है। भारत का सोने का आयात वर्ष 2008 में 45 प्रतिशत गिरा है। मुंबई की सोने का कारोबार करने वाली फर्म रिध्दि सिध्दि बुलियन के निदेशक पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि जब 2004 में सोने पर 100 रुपये प्रति 10 ग्राम सीमा शुल्क लगाया गया था तो सोने की कीमतें 5000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई थीं।
उसके बाद से सोने की कीमतों में तीन बार उछाल दर्ज किया गया है। खरीदारों ने पुनरीक्षित कीमतों को सहर्ष स्वीकार कर लिया। पुनरीक्षित दरें सोने और चांदी पर भी लागू होंगी, जिसमें गहने भी शामिल हैं। (BS Hindi)
08 जुलाई 2009
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