मुंबई July 07, 2009
भले ही मानसून ने देश भर के विभिन्न राज्यों में अपनी दस्तक दे दी हो लेकिन खरीफ फसल के लिहाज से अगला पखवाड़ा बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है।
इस मौसम में खरीफ फसल की पैदावार कितनी होगी इस पर अभी भी शंकाएं बनी हुई हैं। हालांकि अभी तक फसल के आकार में कोई कमी नहीं की गई है। जिंस विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर जुलाई के मध्य तक बुआई का काम खत्म हो जाना चाहिए लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि इस महीने मानसून की स्थिति कैसी रहती है।
कृषि वायदा बाजार में पहले से नरम रूझान दिखाई पड़ रहे हैं। लेकिन बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में कीमतों की स्थिति ऊपर रहेगी या नीचे इसके बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
राष्ट्रीय कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनविस ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'इस समय बाजार की गतिविधियों के बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है। लेकिन एक बात तो तय है कि अगले पखवाड़े के दौरान होने वाली बारिश फसल के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी।'
इस मौसम के दौरान बाजार में किस तरह का उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा, इसके बारे में जिंस विशेषज्ञ कोई स्पष्ट राय नहीं दे रहे हैं। ऐंजेल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक (मुद्रा और जिंस) नवीन माथुर ने बताया, 'अभी तक मानसून उम्मीदों के अनुरूप नहीं आया है। बाजार में मंदी का जो आलम है वह केवल रूझानों की वजह से है। अगर मानसून में कमी बनी रहती है तो निश्चित रूप से जिंस बाजार ऊपर जाएगा।'
बीते कुछ महीनों में कृषि जिंस आधारित कंपनियों ने जून के मध्य तक अधिकांश अनुबंधों को खारिज कर दिया था। मानसून के शुरुआत में ही कीमतों में कमी आनी शुरू हो गई थी और यही प्रवृति पूरे देश भर में देखने को मिल रही थी। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए जिंस बाजार के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह जुलाई महीने में होने वाली भारी बारिश पर भी निर्भर करता है कि फसल का उत्पादन कितना होगा।
हालांकि विशेषज्ञों का एक वर्ग आशावादी नजरिया अपनाते हुए कहते हैं कि जुलाई मानसून में कोई कमी नहीं देखने को मिलेगी और फसलों की बुआई के लिए पर्याप्त बारिश की उपलब्धता भो हो सकेगी। एग्रीवॉच कमोडिटी के रिसर्च हेड रघुरमन ने अच्छी बारिश होने की संभावना जताई है।
उन्होंने बताया, 'हालांकि अभी तक मानसून में कमी दर्ज की गई है लेकिन यह उम्मीद जाताई जा रही है कि जुलाई में अच्छी बारिश होगी और साथ ही देश के ज्यादातर इलाकों में बुआई का काम पूरा कर लिया जाएगा।' इस बात पर सहमति जताते हुए कोटक कमोडिटी के रिसर्च हेड आमोल तिलक ने बताया, 'तकनीकी मोर्चे पर मानसून अपने समय से देश के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंच चुका है। (BS Hindi)
08 जुलाई 2009
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