क्या ग्रामीण भारत को वित्त मंत्री के इस बयान से निकट भविष्य में और अच्छी खबरें सुनने को मिलेंगी कि विकास एक सतत प्रक्रिया है? इसके लिए हमें बजट के बाद होने वाली घोषणाओं में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए 4 फीसदी वृद्धि दर की रूपरेखा पर नजर रखनी होगी। पिछले साल कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले इनपुट (कच्चे माल) की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसे देखते हुए कृषि मंत्रालय ने छोटी अवधि के फसली कर्ज (तीन लाख रुपए तक) के लिए 5-6 फीसदी ब्याज दर रखे जाने की मांग की थी। अभी यह तीन फीसदी है। बजट में इसमें महज एक फीसदी की बढ़ोतरी की गई है लेकिन इसमें स्वागत योग्य शर्त है कि भुगतान समय पर हो तो ही इसका फायदा मिलेगा। इसका मतलब हुआ कि सरकार को इस पर 1,200 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे। मौजूदा साल में फसल कर्ज के दो लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। इसके बावजूद वित्त मंत्री को उम्मीद है कि 2008-09 के 2.65 लाख करोड़ रुपए के इंस्टीट्यूशनल फार्म क्रेडिट के मुकाबले 2009-10 में फॉर्म क्रेडिट बढ़कर 3.25 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। वित्त मंत्री को इसमें 61,000 करोड़ रुपए उछाल आने की उम्मीद है जबकि साल-दर-साल आधार पर 2008-09 में उछाल 25,357 करोड़ रुपए का था।
कोहिनूर फूड्स लिमिटेड के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर गुरनाम अरोड़ा ने ईटी को बताया, 'सेक्टर के लिए उठाए गए कदम साधारण हैं, लेकिन हमें बाद में और कदम उठाए जाने की उम्मीद है।' लंबे समय में कर्ज की रिशेड्यूलिंग के लिए किसी व्यवस्था की बात नहीं कही गई है और महाराष्ट्र में गैर-इंस्टीट्यूशनल उधारी पर गौर ऐसा कार्यबल गौर करेगा जिसके लिए कोई समय-सीमा तय नहीं है। सीटीटी को हटाने को एग्री-कमोडिटी की फ्यूचर टेडिंग के लिए सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है और इसमें दूसरे कदम उठाए जाने की उम्मीद लगाई जा रही है। लेकिन यह सब दिसंबर से पहले नहीं होगा। फॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर पर किसी बड़े खर्च की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन कोल्ड चेन और भंडारगृह स्थापित करने की बात कही गई है। बड़े निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए कृषि मंत्रालय ने छोटी सिंचाई पर इनसेंटिव देने की घोषणा की है। इसके अलावा माइक्रो इरीगेशन कंपोनेंट पर कस्टम टैक्स इनसेंटिव मिलेगा। हालांकि किसानों के रिस्क इंश्योरेंस पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है। एनएआईएस को महज 50 करोड़ मिले हैं और वेदर इंश्योरेंस में एफडीआई पर कुछ नहीं कहा गया है। शेतकरी संगठन के प्रमुख शरद जोशी ने ईटी को बताया, 'इथेनॉल मिक्स पेट्रोल को बढ़ावा देने के लिए टैक्स इनसेंटिव देने की जरूरत थी, लेकिन इस पर कुछ नहीं है।' (ET Hindi)
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