07 जुलाई 2009
किसानों को सीधे सब्सिडी देने से उर्वरक कंपनियों को भी फायदा
नई दिल्ली : फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल साल 2008-09 के मध्य में करीब 1 लाख करोड़ के अनुमान से घटते हुए आधा होकर सिर्फ 49,980 करोड़ रुपए रह गया है। साल 2008-09 के संशोधित अनुमान में 75,849 करोड़ रुपए के आवंटन से भी यह 25,869 करोड़ रुपए कम ही है। इसकी मुख्य वजह साल 2009 की पहली छमाही में कच्चे माल की कीमतों में आई भारी गिरावट रही है। हालांकि, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा पेश साल 2009-10 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी खबर लंबे समय से लंबित महत्वपूर्ण कदम उत्पाद कीमत सब्सिडी के दौर से न्यूट्रिएंट आधार के सब्सिडी के दौर में प्रवेश करना और उद्योग के माध्यम से पहुंचाने की जगह सब्सिडी सीधे किसानों को देने की बात है। राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से पिछले तीन साल से लगातार इस कदम पर आगे नहीं बढ़ा जा सका था। इस कदम से दीर्घकालिक तौर पर उर्वरकों पर सब्सिडी में कमी आएगी और उर्वरक कंपनियों को कई झंझटों से छुटकारा मिल जाएगा। नए सब्सिडी के युग पर अमल का खाका उर्वरक मंत्रालय ने पहले से ही तैयार कर लिया है। लंबे समय से इस तरह के व्यवस्था की वकालत कर रहे उद्योग जगत के लिए नए तरह के सब्सिडी के दौर से उत्पादों के लिए यथार्थवादी कीमत वसूलने में मदद मिलेगी और सब्सिडी के बदले उर्वरक बॉन्ड हासिल करने की माथापच्ची से मुक्ति मिलेगी। पिछले दो साल में सरकार ने उर्वरक उद्योग को 30,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड जारी किए हैं और अब इन्हें 12 से 15 फीसदी छूट पर बेचना पड़ रहा है, जिससे उद्योग जगत को भारी नुकसान हुआ है। नागार्जुन फर्टिलाइजर्स, कोरोमंडल फर्टिलाइजर्स, जीएसएफसी, इफ्को जैसी कई कंपनियों को नए दौर से फायदा मिलेगा, लेकिन कम प्रभावी उर्वरक कंपनियों को इसका नुकसान होगा। इस निर्णय से रिलायंस जैसी कई कंपनियों को भी फायदा मिलेगा, जिन्होंने उत्पादों की कीमतें मुक्त न हो पाने की वजह से अपनी निवेश योजना टाल रखी थी। बजट में रॉक फॉस्फेट पर आयात कर भी 5 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी करने की बात की गई है। डीएपी के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला रॉक फॉस्फेट एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है। इस कदम से आयातित रॉक फॉस्फेट की कीमत में 12 डॉलर प्रति टन से 3 डॉलर प्रति टन तक की कमी आ सकती है। डीएपी खेती के लिए काफी महत्वपूर्ण है लेकिन भारत में इसका उत्पादन बहुत कम हो पाता है क्योंकि देश में खपत होने वाले रॉक फॉस्फेट का 90 फीसदी हिस्सा आयात करना पड़ता है। हालांकि, नाप्था पर उत्पाद शुल्क घटाकर 14 फीसदी करने को उर्वरक उद्योग प्रतिगामी कदम बता रहा है। बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इफ्को के एमडी यू एस अवस्थी ने ईटी से कहा, 'उर्वरक बॉन्डों और सब्सिडी से जुड़ी हमारी समस्याएं दूर होने में एक साल लग जाएगा। हम इससे बड़े लक्ष्य की तरफ देख रहे हैं। इससे मिट्टी को पुनर्जीवन देने में मदद मिलेगी और पैदावार एवं आमदनी बढ़ेगी। हम किसानों को सीधे सब्सिडी देने का स्वागत करते हैं।' (ET Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें