नयी दिल्ली: वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा आज पेश 2009-10 के बजट में सोने के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के प्रस्ताव से इस पीली धातु के दाम और बढ़ सकते हैं। ऊंची कीमतों और घटती मांग की वजह से सोने का बाजार पहले ही काफी ठंडा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोने का कारोबार वैसे ही मंदा चल रहा था, ऐसे में आयात शुल्क की दरें बढ़ने से इसके कारोबार और प्रभावित हो सकता है। साथ ही इससे सोने की को भी बढ़ावा मिल सकता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के भारत में निदेशक धर्मेश सोडा ने कहा कि बजट घोषणा के तत्काल बाद सोने की कीमतों में 100 रुपये प्रति दस ग्राम की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, यह कोई बहुत बड़ा असर नहीं है, लेकिन एक ग्राहक के लिए सोने के दाम 100 रुपये प्रति दस ग्राम की बढ़ोतरी काफी मायने रखती है। उन्होंने कहा कि मानना है कि जब सोने के बाजार में पहले ही मंदा है, तो सरकार को आयात शुल्क की दरों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए थी। सरकार ने बजट में सोने की छड़ के आयात पर आयात शुल्क 100 रुपये प्रति दस ग्राम से बढ़ाकर 200 रुपये प्रति दस ग्राम करने का प्रस्ताव किया है। इसी तरह जेवरात को छोड़कर अन्य रूपों में आयातित सोने पर शुल्क की दर 250 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति दस ग्राम करने का प्रस्ताव है। चांदी पर आयात शुल्क की दर 500 रुपये से बढ़ाकर एक हजार रुपये प्रति किलोग्राम करने का प्रस्ताव है। सोडा ने कहा कि सोने का बाजार वैसे ही काफी ठंडा था। ऐसे में आयात शुल्क की मामूली सी बढ़ोतरी का भी कुछ न कुछ असर पड़ेगा। उन्होने कहा कि भारत में सोने का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार से महंगा हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में भविष्य में जब सोने की मांग में इजाफा होगा, तो सोने की तस्करी में इजाफा हो सकता है।
आल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष शीलचंद जैन ने भी कुछ इसी तरह की राय जाहिर करते हुए कहा कि आयात शुल्क की बढ़ोतरी से सोने की कीमतों में और इजाफा होगा। जैन ने कहा कि इससे भारत में सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में ज्यादा हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस समय सोने के आयात की दरों वृद्धि की कोई जरूरत नहीं थी। (ET Hindi)
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