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09 जुलाई 2009

मानसून नहीं आया, मंडराया सूखे का साया

लखनऊ July 08, 2009
बारिश न होने से परेशान उत्तर प्रदेश सरकार ने आखिरकार केंद्र से मदद की गुहार लगाने का मन बनाया है।
जुलाई का दूसरा हफ्ता चल रहा है और सूबे भर में औसत से आधा पानी भी नहीं बरसा है। आने वाले संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कमर कस ली है। राज्य सरकार इस सिलसिले में एक प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसे जल्द ही केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
सावन के आने पर झमाझम बारिश की भाविष्यवाणी करने वालों के कयास धरे रह गए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में अब तक एक बूंद भी पानी नहीं बरसा है और इन जिलों में धान की रोपाई बिल्कुल भी नहीं हो पा रही है।
सूबे के बाकी 67 जिलों में भी औसत से काफी कम बारिश होने के चलते धान की फसल चौपट हो गयी है। मौसम विभाग का कहना है कि मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस सप्ताह भी बारिश होने के आसार नहीं हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मानसून इस साल तय समय 12 जून से एक पखवाड़े की देरी के साथ दाखिल हुआ है। पखवारे भर की देर होने के बाद भी मानसून की स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है। मानसून आने में देर होने के चलते सूबे के ज्यादातर जिलों में धान की नर्सरी लगाने का काम बुरी तरह से पिछड़ चुका है।
कृषि विशेषज्ञ पहले ही सूबे के किसानों को धान की पछैती किस्म के बीजों को अपनाने की सलाह दे चुके हैं। अब बारिश के और पिछड़ने के चलते कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि धान की पैदावार में इस साल कम से कम 40 फीसदी की कमी हो सकती है।
कृषि विज्ञानी सुशील कुमार सिहं का कहना है कि सूबे में दलहन का रकबा लगातार घट रहा है और इस साल बारिश के कम होने से दालों की फसल पर सबसे बुरा असर पड़ा है। गेंहू की कटाई के बाद बोई जाने वाली उड़द और सक्के की फसल तो पूरी तौर पर बर्बाद हो गयी है।
हालांकि इस साल मानसून ने अपनी मेहरबानी बुंदेलखंड पर जरूर बनाए रखी है। सूबे के जिन जिलों में औसत से 20 फीसदी ही कम बारिश हुई है उनमें बुंदेलखंड के सात जिले शामिल हैं। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अभी बारिश के सुधरने का इंतजार किया जा रहा है जिसके चलते अभी किसी भी जिले को सूखाग्रस्त नहीं घोषित किया गया है। (BS Hindi)

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