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04 जुलाई 2009

अच्छे मॉनसून से विकास बिगड़ने की खबरों पर विराम

नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा माने जाने वाले मॉनसून की रफ्तार बढ़ने से उन तमाम आशंकाओं पर फिलहाल विराम लग गया है जिसमें कहा जा रहा था कि मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक विकास में गिरावट आ सकती है। भारतीय मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक इस बार मानसून सामान्य से कम रह सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि मॉनसून देर से आने की कसर पूरी कर देगा। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन सुरेश तेंदुलकर का कहना है कि मॉनसून के आगे बढ़ने से अर्थव्यवस्था के सात फीसदी से अधिक की वृद्धि दर के अनुमान को अभी कोई खतरा नहीं है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक 16 में से 11 बार जून में बरसात कम हुई, लेकिन कुल मिलाकर मॉनसून सामान्य रहा।
देश के मुख्य अर्थशास्त्री प्रणव सेन ने भी आशंकाओं को नकार दिया कि मॉनसून के सामान्य से कम रहने के कारण वृद्धि दर में गिरावट आ सकती है। प्रमुख उत्तरी पश्चिमी राज्यों में भी मॉनसून के सामान्य रहने के आसार हैं। इन प्रमुख कृषि राज्यों में पंजाब और हरियाणा शामिल हैं। इस बात का अनुमान है कि मॉनसून में देरी के कारण पड़े असर का कोई महत्व नहीं रह जाएगा। मॉनसून के सही होने से ग्रामीण उपभोग के बरकरार रहने की संभावना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था आखिरी चरण में है, जिस पर घरेलू मांग निर्भर करती है। इसके अलावा सरकार भी ग्रामीण आय को बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं बना रही हैं। विशेषज्ञों का विचार है कि सीजन में अच्छे मॉनसून और न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के कारण कृषि उत्पादन में तीन फीसदी की वृद्धि दर को प्राप्त करना संभव है। एग्रीकमोडिटी के निजी विश्लेषक भी पॉलिसी निर्माताओं के विचार से सहमत हैं। शेयरखान कमोडिटी रिसर्च के मेहुल कुमार का कहना है, 'देश के उत्तरी भागों में ऑयलसीड, दालों और दूसरी खरीफ फसलों की बुआई जुलाई के अंत तक और अगस्त के पहले सप्ताह में जारी रहती है। इस कारण देर से मॉनसून आने के कारण उत्पादन कम होने की कोई आशंका नहीं है। फसलों की बुआई में केवल एक सप्ताह की देरी हुई है और इससे कुछ खास असर नहीं पड़ेगा।' इससे पहले भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान व्यक्त किया था कि पिछले चार साल में पहली बार मॉनसून 93 फीसदी रह सकता है। (ET Hindi)

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