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14 जुलाई 2009

खली और तेल में कमजोर मांग से सोयाबीन नरम

रिफाइंड सोया तेल में घरेलू मांग कमजोर बनी हुई है जबकि सोया खली का निर्यात लगातार घट रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सोया खली का निर्यात 75 फीसदी घटा है जिससे सोया खली के भाव मई से अभी तक 14.5 फीसदी घट चुके हैं। रिफाइंड सोया तेल के दाम इस दौरान 9 फीसदी टूटे हैं। अत: तेल और खली में उठाव न होने से सोयाबीन के भावों में मई से अभी तक 19 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है। आगामी दिनों में मानसून अनुकूल रहा तो सोयाबीन की मौजूदा कीमतों में और भी गिरावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।केंद्र सरकार द्वारा जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2008-09 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 101 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 109 लाख टन से कम था। उत्पादन अनुमान में जरुर गिरावट आई लेकिन आर्थिक सुस्ती के कारण भारत से सोया खली के निर्यात में चालू तेल वर्ष के पहले नो महीनों (अक्टूबर-08 से जून-09) के दौरान 34 फीसदी की कमी दर्ज की गई। इस दौरान भारत से 28.55 लाख टन सोया खली का ही निर्यात हुआ जबकि इसके पिछले साल 43.22 लाख टन का निर्यात हुआ था। जहां सोया खली के निर्यात में कमी आई वहीं दूसरी और इस दौरान देश में खाद्य तेलों के आयात में भारी इजाफा हुआ। नवंबर-08 से मई-09 के दौरान भारत में रिकार्ड 48 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो चुका है। खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क लगने की संभावना के कारण ही आयातकों ने भारी मात्रा में आयात सौदे किये। सरकार ने आयात पर शुल्क नहीं लगाया इसलिए आयातकों की बिकवाली अब बढ़ने लगी है।सोया खली के भाव मई महीने में बढ़कर 24,000 रुपये प्रति टन (बंद्रगाह पर) हो गये थे लेकिन निर्यात मांग घटने से सप्ताहांत तक इसके भाव घटकर 20,500-20,600 रुपये प्रति टन रह गये। इसी तरह से सोया रिफाइंड तेल के भाव इंदौर में मई में 478 रुपये प्रति 10 किलो थे जोकि शनिवार को घटकर 435-440 रुपये प्रति 10 किलो रह गये। अत: तेल और सोया खली में मांग घटने का असर सोयाबीन की कीमतों पर भी देखा गया। मई महीने में सोयाबीन के भाव प्लांट डिल्ीवरी 2650 रुपये प्रति क्विंटल थे जोकि शनिवार को घटकर 2150-2200 रुपये प्रति क्विंटल रह गये।कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आंकड़ों के मुताबिक अभी तक देश में 31.62 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हो चुकी है। जबकि सामान्यत: 72.53 लाख हैक्टेयर में होती है। ऐसे में करीब 44 फीसदी क्षेत्रफल में बुवाई हो चुकी है। हालांकि व्यापारियों की माने तो बुवाई करीब 70 फीसदी पूरी हो चुकी है। भावों में गिरावट को देखते हुए स्टॉकिस्टों और किसानों की बिकवाली भी पहले की तुलना में बढ़ गई है। ऐसे में आगामी दिनों में मौसम अनुकूल रहा तो सोयाबीन के मौजूदा भावों में और भी गिरावट आने की संभावना है।कमोडिटी ट्रेकरआर.एस. राणा (Busienss Bhaskar)

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