नई दिल्ली: सरकार एकबार फिर खाद्य तेल आयात करने की योजना बना रही है। दरअसल, सरकार को इस बात की चिंता है कि कमजोर मानसून की वजह से इस बार प्रमुख ऑयलसीड की बुआई प्रभावित होगी। इससे आने वाली त्यौहारी सीजन में खाद्य तेल की कीमतें आम ग्राहकों का बजट बिगाड़ सकती हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कैबिनेट के समक्ष पेश नए प्रस्ताव के मुताबिक केंद्र सरकारी ट्रेडिंग कंपनियों- एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी को अगले एक साल में 10 लाख टन खाद्य तेल आयात करने के लिए कह सकती है। सरकार को इस बात का डर है कि कम बारिश की वजह से इस बार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में दो प्रमुख खरीफ ऑयलसीड-सोयाबीन और मूंगफली की बुआई पर असर पड़ सकता है।
इससे घरेलू खाद्य तेल का उत्पादन कम होगा। घरेलू स्तर पर खाद्य तेल का उत्पादन बेहतर होने से मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्राजील पर भारत की निर्भरता कम होती है। माना जा रहा है कि गरीबों को राशन के जरिए खाद्य तेल मुहैया कराने के लिए सरकार ने यह पहल की है। इसके तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले लोगों को राशन दुकान के जरिए 1 लीटर तेल का पैक देने पर विचार कर रही है। ऐसे वक्त में जब खाद्य पदार्थों की महंगाई लगातार 10 फीसदी पर बनी हुई सरकार का यह कोशिश ग्राहकों को राहत पहुंचा सकती है। हालांकि, इससे खाद्य तेल की कंपनियों के मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है। मालूम हो कि खाद्य तेल कंपनियों का कारोबार और मुनाफा स्थानीय स्तर पर बढ़ी कीमतों पर निर्भर करता है। पारंपरिक तौर पर इस सेगमेंट में कंपनियों का मार्जिन सिर्फ 2 फीसदी है। उल्लेखनीय है कि तीनों सरकारी ट्रेडिंग कंपनियां कच्चे पाम ऑयल का आयात करती हैं, जो दुनिया का सबसे सस्ता तेल है। इसे देश में रिफाइन करती हैं और पैक कर राज्य सरकारों को बेचती हैं। राज्य सरकार इसी तेल को राशन दुकानों के जरिए गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को खाद्य तेल मुहैया कराएगी। ऐसे में तेल कंपनियों का नुकसान कम करने के लिए सरकार उन्हें 15 रुपए प्रति लीटर का सब्सिडी देने पर विचार कर रही है। यह दूसरा मौका है जब सरकार राशन के जरिए गरीबों को खाद्य तेल मुहैया कराने की इच्छा जाहिर की है। इससे पहले अप्रैल 2008 में सरकार ने 10 लाख टन तेल आयात करने की योजना बनाई थी। हालांकि, यह योजना बीच में ही रोक दी गई, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल सस्ता होने से खुले बाजार में तेल के दाम काबू में आ गए थे। (ET Hindi)
01 जुलाई 2009
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