नई दिल्ली July 02, 2009
चीनी की कमी को देखते हुए वर्ष 2009-10 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने की पेराई निर्धारित समय से एक माह पहले शुरू हो सकती है।
जल्दी पेराई शुरू करने वाली मिलों को सरकार लेवी से राहत देने का मन बना रही है। इसके लिए सरकार मिल मालिकों से विचार-विमर्श कर रही है। नैशनल फेडरेशन ऑफ कोपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विनय कुमार ने बताया कि इस साल 15 सितंबर के आसपास गन्ने की पेराई शुरू हो सकती है।
अमूमन गन्ने की पेराई 15 अक्टूबर से शुरू होती है। उन्होंने बताया कि समय से पहले पेराई के काम को चालू करवाने के लिए सरकार मिलों को लेवी की चीनी से राहत देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा, चीनी मिलों को कुछ और राहत भी दी जा सकती है।
मिलों को लेवी के रूप में कुल उत्पादन की 10 फीसदी चीनी सरकार को 13.50 रुपये की दर से देनी होती है। इस चीनी की बिक्री राशन दुकानों में की जाती है। इस साल चीनी का उत्पादन लगभग 150 लाख टन रहा जो कि सालाना कुल खपत से 80 लाख टन कम है। लिहाजा चीनी की कीमत में पिछले छह महीनों में 35-40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। गुरुवार को प्रगति मैदान में आयोजित शुगर एशिया-2009 में भाग लेने आये कुमार ने बताया कि देश के चीनी क्षेत्र में 7000 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन करने की क्षमता है, लेकिन फिलहाल मात्र 1850 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
शुगर एशिया की आयोजक नेक्सजेन एक्जीबिशंस के निदेशक वीके बंसल ने कहा कि देश भर के 450 मिलों में कोजेनरेशन से तकरीबन 10,000 मेगावाट बिजली तैयार हो सकती है और यह देश में 2008 के दौरान हुई बिजली की कमी का 40 प्रतिशत होगी। एक मिल को अगर 20-22 हजार हेक्टेयर जमीन गन्ने के लिए दे दी जाए तो आराम से 250 लाख टन चीनी का उत्पादन हो सकता है। (BS Hindi)
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