नई दिल्ली- इस्पात बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी सेल ने स्टील के दामों में कमी की है। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने अपने सरिया जैसे लॉन्ग स्टील उत्पादों की कीमतों में 1,500 रुपए से 2,000 रुपए प्रति टन के दायरे में कटौती की घोषणा की है। इन उत्पादों का इस्तेमाल निर्माण उद्योग में होता है। संभव है कि कंपनी आगे भी स्टील के दाम घटाए। एसोचैम के इस्पात सम्मेलन के दौरान सेल के चेयरमैन एस के रूंगटा ने कहा, 'हमने एक जुलाई को अपने उत्पादों की कीमत में 1,500 रुपए से 2,000 रुपए प्रति टन के दायरे में कमी की है। अगर संभव हुआ तो कंपनी कीमतों में और कमी कर सकती है।' इस दौरान निजी क्षेत्र की टाटा स्टील ने कहा कि आने वाले समय में इस्पात की कीमतें बढ़ने की कोई संभावना नहीं है और घरेलू बाजार में कीमतें अंतरराष्ट्रीय रुख के मुताबिक रहेंगी। टाटा स्टील ने पिछले महीने अपने कुछ फ्लैट स्टील उत्पादों की कीमतें 500-750 रुपए तक बढ़ा दी थीं। इन उत्पादों का इस्तेमाल ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता सामान क्षेत्र द्वारा किया जाता है।
टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर बी मुथुरमन ने कहा, 'भारतीय इस्पात की कीमतें वैश्विक रुख के मुताबिक रहेंगी। अगर अंतरराष्ट्रीय रुख नरम होता है तो घरेलू बाजार में भी कीमतें नीचे आएंगी। बहुत जल्दी इस्पात की कीमत बढ़ाने की संभावना नहीं दिखती।' उधर, सरकारी क्षेत्र की कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) भी अगने दो-तीन दिनों में इस्पात की कीमतों में कमी घोषणा कर सकती है। हालांकि कंपनी का मानना है कि फिलहाल घरेलू बाजार में इस्पात की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। आरआईएनएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पी के बिश्नोई ने कहा, 'मुझे लगता है कि कीमतें अभी स्थिर हैं। हम लॉन्ग प्रोडक्ट (सरिया, स्टील वायर, रेल पथ वगैरह) का कारोबार करते हैं। अगले एक यो दो दिनों में हम इनकी कीमत में 2 से 3 फीसदी का बदलाव ला सकते हैं।' इस्पात बनाने वाली निजी क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील ने मंगलवार को कहा था कि वह अपने उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी नहीं कर रही है, क्योंकि लागत फिलहाल कम है। मौजूदा वित्त वर्ष में इस्पात कंपनियां कम दरों पर कोकिंग कोल के कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर रही हैं। साथ ही वे बड़े पैमाने में लौह अयस्क के सौदे भी कर सकती हैं। पिछली तीन तिमाहियों में इस्पात के दाम 1,150-1,200 डॉलर प्रति टन के चरम स्तर से नीचे गिरकर 500-550 डॉलर प्रति टन पर पहुंच चुके हैं। आथिर्क गिरावट के कारण मांग में आई कमी की वजह से स्टील की कीमतों में कमी आई है। इससे घरेलू कंपनियों के माजिर्न में असर पड़ा है। (ET Hindi)
09 जुलाई 2009
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