प्लांटेशन सेक्टर को संकट से बाहर निकालने के लिए केंद्र सरकार 3,500 करोड़ रुपए का राहत पैकेज देने की तैयारी में है। बढ़ती लागत, कर्ज के भारी बोझ और गिरते उत्पादन स्तर के कारण मौजूदा समय में यह सेक्टर बुरे दौर से गुजर रहा है। आगामी बजट में इस सेक्टर को राहत की यह खुराक उस समय मिल रही है, जब निर्यात में काफी गिरावट आ चुकी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक अप्रैल-फरवरी 2007-08 में सालाना आधार पर निर्यात में 7 फीसदी की गिरावट आई और इस अवधि में यह 3,347.97 करोड़ रुपए रहा। वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस आर्थिक पैकेज में फसल बीमा का हिस्सा भी शामिल है, जो 729 करोड़ रुपए हो सकता है।
अधिकारी ने कहा कि इससे करीब 12 लाख प्लांटेशन श्रमिकों को फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस पैकेज में 237 करोड़ रुपए को कॉफी उत्पादकों के कर्ज से राहत देने के लिए रखा गया है, जो कर्ज राहत की यह राशि किसी कॉफी उत्पादक के लिए पांच लाख रुपए से ज्यादा नहीं होगी। अधिकारी ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर बताया, 'पैदावार अच्छी न होने के कारण कॉफी उत्पादक कर्ज के बोझ तले दबे हैं और ऐसे हालात में उन्हें राहत की सख्त दरकार है। इस राहत पैकेज से करीब 17,000 कॉफी उत्पादकों को फायदा मिलेगा।' राहत पैकेज में लंबी अवधि की योजना के तहत एक बड़ा हिस्सा काली मिर्च के रिप्लांटेशन के लिए रखा गया है, जो करीब 1,067 करोड़ रुपए है। अधिकारी ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय काली मिर्च की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के साथ इसके उत्पादन में सुधार करना है। वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा सरकार अलग से पांच साल की अवधि वाली 1,400 करोड़ रुपए की लाभकारी योजना पर काम कर रही है। इसका मकसद प्लांटेशन श्रमिकों के रहन-सहन में सुधारकर उन्हें बेहतर माहौल मुहैया कराना है, क्योंकि ज्यादातर श्रमिक प्लांटेशन क्षेत्र के आसपास ही रहते हैं। (ET Hindi)
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