03 जुलाई 2009
कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए उपाय जरूरी
कृषि क्षेत्र के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए फसल उगाने से आगे जाकर उसकी प्रोसेसिंग और कोल्ड चेन जैसे उपाय करना उपयुक्त हो सकता है। वर्ष 2008-09 के आर्थिक समीक्षा में कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का जिक्र किया गया है। इनसे निपटने के लिए कई तरह के उपाय करने के सुझाव दिए गए हैं।आर्थिक समीक्षा के मुताबिक खेती का रकबा बढ़ाने की गुंजाइश बहुत कम है। ऐसे में अन्य गतिविधियां और अन्य ग्रामीण व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ाने की जरूरत है जिससे ग्रामीण आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। सरकार का मानना है कि खेती उपजों की प्रोसेसिंग और आधुनिक भंडारण व परिवहन पर जोर दिया जाना चाहिए। सर्वे के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी विकास खासकर सड़क निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे किसानों को अपनी फसल मंडियों तक लाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने की भी सख्त जरूरत है। इसमें निवेश बढ़ाने के अलावा आधुनिक प्रबंधन जरूरी है। सिंचाई के लिए लघु सिंचाई परियोजनाएं भी फायदेमंद हो सकती है। बेहतर मार्केटिंग सुविधाओं के जरिये उत्पादक मूल्य और उपभोक्ता मूल्य के बीच का अंतर कम करना चाहिए। इसके लिए मार्केटिंग सुविधाएं, स्टोरेज और वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन और हाजिर बाजार विकसित करना उपयोगी हो सकता है।सर्वे का कहना है कि कृषि क्षेत्र में भूमि क्षरण, जल भराव, भूमिगत जल स्तर में गिरावट जैसी समस्याओं पर विशेष दिए जाने की भी जरूरत है। पिछले साल के दौरान कृषि क्षेत्र की गतिविधियों की तस्वीर भी पेश की गई है। वर्ष 2007-08 के दौरान देश के कुल सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में कृषि और सहायक गतिविधियों का योगदान 17.8 फीसदी रहा, जबकि अकेले कृषि क्षेत्र का योगदान16.3 फीसदी रहा। इसमें मछली पालन का योगदान करीब 0.8 फीसदी और वानिक का योगदान 0.7 फीसदी ही रहा। खाद्यान्न उत्पादन के बारे में आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि वर्ष 2005-06 से 2007-08 के दौरान तीन सालों में खाद्यान्न उत्पादन औसतन करीब एक करोड़ टन प्रति वर्ष बढ़ा है। वर्ष 2007-08 के दौरान 23 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होने का अनुमान है। वर्ष 2006-07 में 21.7 करोड़ टन और 2006-06 में 20.8 करोड़ टन उत्पादन रहा था। साल 2008-09 के दौरान चावल उत्पादन तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 993 लाख टन रहा जो पिछले साल से 2.8 फीसदी ज्यादा रहा। हालांकि गेहूं उत्पादन वर्ष 2008-09 के दौरान 1.2 फीसदी गिरकर 776 लाख टन रहा। (Business Bhaskar)
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